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Earthquake: आने वाला है महाभूकंप, भारत समेत ये 8 देश तबाही की जद में

Earthquake: भारत में बिहार, कच्छ और उत्तरकाशी में भीषण भूकंप आ चुका है। जिसमें लाखों लोगों की जानें चली गई हैं।

नई दिल्लीSep 14, 2024 / 08:56 am

Jyoti Sharma

Earthquake

Earthquake: आए दिन भूकंप के झटकों से भारत समेत दुनिया के कई देश कांप रहे हैं। इतने ज्यादा भूकंपों की संख्या ने आम लोगों को ही नहीं बल्कि वैज्ञानिकों को भी परेशान कर दिया है। इसी बीच जापान (Japan) ने 9 तीव्रता के महाभूकंप का अलर्ट जारी कर दिया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये भूकंप 9 से ज्यादा का भी हो सकता है, अगर ऐसा हुआ तो देशों के देश खत्म होने की कगार पर पहुंच जाएंगे। यहां हम आपको बता रहे हैं कि ये भूकंप कहां आ सकता है और कौन-कौन से देश भूकंप की जद में आ सकते हैं। चिंता की बात ये है इन देशों की लिस्ट में भारत (Earthquake in India) भी शामिल है।

किन-किन देशों में आ सकता है महाभूकंप 

US जियोलॉजिकल सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक जापान पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा सक्रिय भूकंपीय क्षेत्र है, इसलिए वहां पर भूकंप (Earthquake) सबसे ज्यादा आते हैं और हाल ही में जारी किया गया 9 तीव्रता के महाभूकंप का अलर्ट भी जापान के लिए जारी किया गया है। जापान के पास दुनिया का सबसे घना भूकंपीय नेटवर्क है। इसलिए वो कई भूकंप रिकॉर्ड करने में सक्षम है। 
सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक जापान के अलावा इंडोनेशिया, चीन, ईरान, तुर्की, भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान भूकंप के सक्रिय इलाकों में स्थित हैं। इनमें से इंडोनेशिया, चीन, तुर्की और भारत के उत्तर-पूर्वी इलाके सबसे ज्यादा संवेदनशील है। 

भारत के कौन से इलाके भूकंप के लिए सबसे संवेदनशील

दरअसल भारतीय उपमहाद्वीप विनाशकारी भूकंपों के इतिहास से भरा पड़ा है। यहां पर भूकंपों की उच्च आवृत्ति और तीव्रता की अहम वजह ये है कि भारतीय प्लेट लगभग हर साल 47 mm की दर से एशिया यानी यूरेशियन प्लेट की तरफ बढ़ रही है, ऐसे में यहां पर भूकंप सबसे ज्यादा दर्ज किए जाते हैं। इनमें सबसे ज्यादा संवेदनशील इलाके कश्मीर के क्षेत्र, पश्चिमी और मध्य हिमालय, उत्तर-पूर्वी भारतीय क्षेत्र, उत्तर और मध्य बिहार, कच्छ का रण और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह है। 

भारत में विनाशकारी भूकंप

भारत में अब तक का सबसे विनाशकारी भूकंप 15 जनवरी 1934 को बिहार में आया था। इस भूकंप की तीव्रता 8.1 मापी गई थी। इससे बिहार से लेकर नेपाल तक तबाही मच गई थी। इसके बाद 26 जनवरी, 2001 को गुजरात के भुज में 7.7 तीव्रता का भूकंप आया था। इसमें भी हजारों लोगों की जानें चली गईं थी। वहीं 20 अक्टूबर, 1991 को उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में 6.8 तीव्रता का भूकंप आया था। इसमें 2000 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी। 
वर्ल्ड बैंक और संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2050 तक भारत में लगभग 20 करोड़ लोग तूफान और भूकंप की चपेट में आ जाएंगे। भारत के भौगोलिक आंकड़े बताते हैं कि यहां की लगभग 58% भूमि भूकंप की चपेट में है। 

दुनिया के भूकंप सक्रिय 8 देशों में कौन सबसे ज्यादा संवेदनशील 

9 तीव्रता के महाभूकंप का अलर्ट वैसे तो जापान के लिए जारी किया गया है लेकिन भूकंप के संवेदनशील इलाकों में इंडोनेशिया, चीन और तुर्की में भी 8 तीव्रता का विनाशकारी तूफान के संकेत दे दिए हैं। क्योंकि ये क्षेत्र सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं। तुर्की में तो 6 फ़रवरी, 2023 को 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था। जिसमें तुर्की और सीरिया में 60 हजार लोग मारे गए और लाखों घायल हुए थे। साथ ही 3 लाख नष्ट हो गए थे। इस भूकंप से तुर्की को 104 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था सिर्फ यही नहीं भूकंप से तुर्की की ज़मीन करीब 3 मीटर तक खिसक गई थी। 

क्या है भूकंप का कारण

US जियोलॉजिकल सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की सबसे बड़ी भूकंप बेल्ट, प्रशांत महासागर के तट पर है। जहां धरती के 81 प्रतिशत सबसे बड़े भूकंप आते हैं। इसी जोन को ‘रिंग ऑफ़ फायर’ कहते हैं। यानी भूकंप के सबसे ज्यादा संवेदनशील इलाके। क्योंकि यही वो जगह है जहां पर ये बेल्ट टेक्टोनिक प्लेटों की सीमाओं के साथ मौजूद है। यहां ज़्यादातर समुद्री क्रस्ट की प्लेटें दूसरी प्लेट के नीचे डूब रही हैं। जिससे भूकंप प्लेटों के बीच खिसकने और प्लेटों के भीतर टूटने के चलते जोरदार कंपन होता है जो हमे भूकंप के रूप में दिखता है। 
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