क्या है पनामा नहर मामला
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर स्पष्ट तौर पर लिखा है कि हमारी नौसेना और वाणिज्यक वाहनों के साथ बहुत ही अनुचित और अविवेकपूर्ण तरीके से व्यवहार किया गया है। उनसे पनामा द्वारा वसूले जा रहे शुल्क हास्यास्पद हैं। गौरतलब है कि पनामा नहर का निर्माण साल 1881 में फ्रांस ने शुरू किया था, लेकिन इसे साल 1914 में अमेरिका ने पूरा किया। इसके बाद पनामा नहर पर 1999 तक अमेरिका का ही नियंत्रण था। पू्र्व निर्धारित संधि के तहत साल 1999 में अमेरिका ने पनामा नहर का नियंत्रण पनामा की सरकार को सौंप दिया। अब इसका प्रबंधन पनामा कैनाल अथॉरिटी द्वारा किया जाता है।पनामा से शुरू हुआ था ताइवान को छोड़ने और चीन से राजनीतिक संबंध बनाने का सिलसिला
पनामा ने अमरीका को कूटनीतिक झटका उस समय दिया था, जब 2017 में उसने ताइवान को छोड़कर चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए। इसके बाद से डोमिनिकन गणराज्य, अल साल्वाडोर , निकारागुआ और 2023 में होंडुरास ने भी ताइवान को छोड़कर चीन के साथ संबंध स्थापित किए हैं। चीन ने इन देशों में BRI के तहत भारी निवेश किया है और इन देशों में रेल लाइन, सड़क से लेकर एयरपोर्ट, बंदरगाहों आदि का निर्माण किया है। गौरतलब है कि यही वो देश हैं जिनके सबसे ज्यादा अवैध शरणार्थी अमरीका में मैक्सिको सीमा से घुसते हैं, जो कि अमरीका के लिए सिरदर्द बने हुए हैं।चीनी कंपनी बन रही पनामा नहर पर पोर्ट
चीन कंपनी लैंडब्रिज ग्रुप ने 2018 में 900 मिलियन डॉलर के निवेश के साथ पनामा नहर पर पनामा कोलोन कंटेनर पोर्ट भी बनाना शुरू किया था। जो विवादों के बाद पिछले दिनों दूसरी कंपनी को दिया गया। यह बंदरगाह रणनीतिक रूप से अहम कैरिबियन प्रवेश द्वार पर स्थित होगी। माना जा रहा है कि इससे नहर की ट्रांसशिपमेंट क्षमता में काफी वृद्धि होगी।पनामा नहर का सालाना राजस्व है 5 अरब डॉलर
पनामा नहर से पनामा को भारी राजस्व मिलता है, जिसके कारण भी चीन की इस पर नजर है। पनामा नहर प्राधिकरण ने अक्टूबर 2024 में बताया था कि पिछले वित्तीय वर्ष में पनामा नहर जलमार्ग से लगभग 5 बिलियन डॉलर का रिकॉर्ड राजस्व अर्जित किया।भारत और एशिया के लिए भी पनामा नहर अहम
दुनिया का 6 फीसदी कारोबार और एशिया से अमरीका को जाने वाले 57.5 फीसदी कार्गो आवागमन पनामा नहर से ही होता है। अमरीका का 14 फीसदी व्यापार पनामा नहर के जरिए ही होता है। पनामा नहर एक तरह से अमरीकी अर्थव्यवस्था के लिए लाइफलाइन का काम करती है। इंजीनियरिंग का अजूबा कही जाने वाले यह नहर प्रशांत और अटलांटिक महासागर को जोड़ती है। चीन के इस इलाके में बढ़ते असर के चलते अब यह नहर गहरे भू-राजनीतिक और आर्थिक चिंता का विषय बन गई है। ये भी पढ़ें- बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के 2,200 और पाकिस्तान में 112 केस दर्ज, विदेश राज्य मंत्री ने पेश की रिपोर्ट ये भी पढ़ें- चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका ने ताइवान को दी सबसे बड़ी मदद, दिए दुनिया के सबसे उन्नत टैंक