‘बिहारी’ पर क्या बोले सैयाद एजाज उल हक
विधायक सैयद एजाज उल हक ने सिँध की विधानसभा में जो कहा उसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। छपरा जिला के पोस्ट किए इस वीडियो में साफ सुना जा सकता है कि सैयद हक ने किस तरह बिहार के लोगों का पक्ष लिया है। सैयद ने कहा कि ‘जिस “बिहारी” शब्द को आप इतने अपमानजनक तरीके से बोल रहे हैं, इन्हीं बिहारियों ने पाकिस्तान बनाया है। ये वही लोग हैं जिन्होंने इस मुल्क को बनाया है। उन्होंने ही नारा लगाया था कि बंट कर रहेगा हिंदुस्तान, बनकर रहेगा पाकिस्तान। इन्हीं बिहारिय़ों की वजह से ही पाकिस्तान वजूद में आया।’ सैय़द ने कहा कि ‘पाकिस्तान जिंदाबाद का जो नारा आज बांग्लादेश में लग रहा है ना, वो यही बिहारी हैं और आप आज इस ‘बिहारी’ को गाली समझ रहे हैं। बिहारी शब्द को गाली बता रहे हैं। आप लोग आज बिहारियों को गैरकानूनी तारिक-ए-वतन कह रहे हैं। एक बात मैं आपको बता दूं कि आज तुम्हारे पास जितना है ना उतना तो हम छोड़ कर आए थे। सैयद ने कहा कि पाकिस्तान मुल्क किसी ने जागीर में नहीं दिया गया है। ये मेराज दाद की कुर्बानियों का शाबर है। ये पाकिस्तान हमारे हिस्सा का अपने साथ लाए थे। इसके लिए हम लड़े थे, मरे थे।’
आखिर ‘बिहारी’ शब्द कैसा विधानसभा में गूंजा
पाकिस्तान में बिहारी शब्द पर रार कैसे छिड़ी ये भी आपको बता देते हैं। पाकिस्तान केे सिंध प्रांत की विधानसभा में सदस्यों ने सैयद को ‘बिहारी’ कह कर उनका मजाक उड़ाया था। दरअसल सैयद सिंध प्रांत के विधायक हैं। वे इस साल हुए चुनाव में अपने निर्वाचन क्षेत्र में मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट के सदस्य हैं। कराची पश्चिम-6 से उन्होंने चुनाव जीता और विधानसभा पहुुंचे। कराची में बिहार के मुसलमानों की तादाद काफी ज्यादा है। इसलिए असेंबली में उन्हें बिहारी कहकर संबोधित किया गया था।पाकिस्तान में कैसे आए बिहार के लोग
1- पाकिस्तान से बिहार में लोगों का आना 1947 में हुए भारत के विभाजन का नतीजा है। पाकिस्तान को मुस्लिम बहुल देश के तौर पर बनाया गया था। विभाजन के बाद कई हिंदू, सिख, और दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों को पाकिस्तान पूर्व और पश्चिम से भारत में पलायन करना पड़ा। 2- उस वक्त बिहार के जो संपन्न मुसलमान थे जिन्हें पठान कहा जाता है, वो बिहार छोड़कर पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान में चले गए। पूर्वी पाकिस्तान जो अब बांग्लादेश बन चुका है, यहां से आए हिंदू समुदायों में से कई ने बिहार को अपना नया घर चुना क्योंकि ये काफी पास था और यहां उनके सांस्कृतिक और भाषाई समानता वाले लोग थे।
3- विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) से आए हिंदू और दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय बिहार के सीमावर्ती इलाकों जैसे भागलपुर, पूर्णिया, कटिहार और शहरी क्षेत्रों जैसे पटना में बस गए और यहीं रहने लगे।
4- दूसरी तरफ पश्चिम पाकिस्तान (आज का पाकिस्तान) में पठानों के परिवार चले गए। लेकिन यहां पर इन्हें प्रवासी कहा जाने लगा। यूं कहें कि पाकिस्तान इनका देश कभी बन ही नहीं पाया। सिर्फ इतना ही नहीं 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इन लोगों को भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा जिससे उन्हें फिर से विस्थापित होना पड़ा और वे पाकिस्तान चले गए।
5- पाकिस्तान में रह रहे इन बिहार के पठानों को बिहारी ही कहा जाने लगा और आज के वक्त में ये शब्द पाकिस्तान में एक तंज बन चुका है। इस शब्द ने पठानों की पहचान खत्म कर दी और ये लोग सिर्फ बिहारी बनकर रह गए। हालांकि इन लोगों ने बिहार की संस्कृति और जीवनशैली को जीवंत रखा है। इसलिए पाकिस्तान में बिहार का खान-पान और कल्चर आज भी जीवंत है।
पाकिस्तान में कितने बिहार के लोग रहते हैं
पाकिस्तान में बिहारी समुदाय के कितने लोग रहते हैं इसकी कोई सटीक जनसंख्या के बारे में आधिकारिक आंकड़े पाकिस्तान की तरफ से उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि, कई मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में कुल मिलाकर लगभग 10 लाख बिहारी रहते हैं। पाकिस्तान के कराची शहर के ओरंगी टाउन क्षेत्र को तो “मिनी बिहार” कहा जाता है। यहां बड़ी संख्या में बिहारी प्रवासी बसे हुए हैं। ये इलाका बिहारी खान-पान, खासकर ‘बिहारी बोटी’ के लिए बहुत फेमस है।