सात समंदर पार से समृद्ध इतिहास की खोज, पढ़ें यह रोचक स्टोरी भारतीय संस्कृति और इतिहास देश में ही नहीं विदेश में भी प्रवासी भारतीयों को अपनी माटी अपनी धरा से जोड कर रखता है। एनआरआई यह सिलसिला आगे बढ़ा रहे हैं।
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भारत से बाहर आत्मीयता और संस्कृति और इतिहास की डोर से जुडा एक भारत है, यह भारत भौगोलिक नहीं,बल्कि वैश्विक भावनात्मक भारत है। सात समंदर पार भारत पुत्रों ने भारत की संस्कृति और इतिहास की रोचक खोज से इतिहास के रिश्तों को वर्तमान से जोडने का उदाहरण पेश किया है।
भारत से बाहर आत्मीयता और संस्कृति और इतिहास की डोर से जुडा एक भारत है, यह भारत भौगोलिक नहीं,बल्कि वैश्विक भावनात्मक भारत है। सात समंदर पार भारत पुत्रों ने भारत की संस्कृति और इतिहास की रोचक खोज से इतिहास के रिश्तों को वर्तमान से जोडने का उदाहरण पेश किया है।
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यह कहानी है दो प्रवासी भारतीयों की। राजस्थान की बान शान के साथ विरासत को संजोने की पूरब से पश्चिम की जुगलबंदी की कोशिश एक खूबसूरत मिसाल बन गई है। डिजिटल मीडिया के युग में दो युवाओं ने समय के माध्यम से एक मनोरम यात्रा कर राठौड़ वंश के गहन इतिहास और भगवान राम के साथ इसके संबंध उजागर करने का बीडा उठाया है। मिलिए दिग्पालसिंह राठौड़ और हरेंद्रसिंह जोधा से, जिन्होंने एक ज्ञानवर्धक वीडियो श्रृंखला से ऐतिहासिक खोज की दुनिया में धूम मचा दी है।
यह कहानी है दो प्रवासी भारतीयों की। राजस्थान की बान शान के साथ विरासत को संजोने की पूरब से पश्चिम की जुगलबंदी की कोशिश एक खूबसूरत मिसाल बन गई है। डिजिटल मीडिया के युग में दो युवाओं ने समय के माध्यम से एक मनोरम यात्रा कर राठौड़ वंश के गहन इतिहास और भगवान राम के साथ इसके संबंध उजागर करने का बीडा उठाया है। मिलिए दिग्पालसिंह राठौड़ और हरेंद्रसिंह जोधा से, जिन्होंने एक ज्ञानवर्धक वीडियो श्रृंखला से ऐतिहासिक खोज की दुनिया में धूम मचा दी है।
राजस्थान एसोसिएशन आफ यूके मध्यम से भारतवंशियों की मदद में अग्रणी यूके के हरेंद्रसिंह जोधा राजस्थान के मेड़ता से ताल्लुक रखते हैं और लंदन में टीवी , मीडिया और सामाजिक सरोकार रखने वाले बेहतरीन कहानीकार हैं । जबकि भारत के ध्य में स्थित गुजरात सीमा से जुड़े राजस्थान के सिरोही शहर से आने वाले, दिग्पालसिंह राठौड़ अपने काम के जुनून और विशेषज्ञता की अनूठी मिसाल हैं। वर्तमान में वे लंदन में एक अनुभवी निर्माता की भूमिका निभा रहे हैं, जो फिल्मों, संगीत वीडियो और विज्ञापनों के निर्माण में अपने काम के लिए जाने जाते हैं। इतिहास के बारे में गहराई से जानने और उन्हें अपने वीडियो के माध्यम से जीवंत करने की दिग्पाल की प्रतिबद्धता ने दुनिया भर में इतिहास के प्रति उत्साही लोगों के बीच जिज्ञासा की एक चिंगारी रोशन की है।
साथ में, ये दोनों युवा राठौड़ वंश के रहस्यों और कहानियों का पता लगाने के मिशन पर निकले , जो एक प्रमुख राजपूत वंश है, जो अपनी वीरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। उनकी वीडियो श्रृंखला का मारवाड़ के पूर्व राजघराने जोधपुर के पूर्व सांसद गजसिंह ने लोकार्पण किया था,वे पहले ही दो रोचक एपिसोड जारी कर चुके हैं। खास बात यह है कि यह प्रसंग राठौड़ वंश की वंशावलियों (वंशावली अभिलेखों) में गहराई से उतरते हैं और मध्यकालीन भारत के एक प्रमुख राजवंश के साथ उनके जटिल संबंधों और यहां तक कि स्वयं पूज्य भगवान राम के साथ उनके संबंधों पर प्रकाश डालते हैं।
साथ में, ये दोनों युवा राठौड़ वंश के रहस्यों और कहानियों का पता लगाने के मिशन पर निकले , जो एक प्रमुख राजपूत वंश है, जो अपनी वीरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। उनकी वीडियो श्रृंखला का मारवाड़ के पूर्व राजघराने जोधपुर के पूर्व सांसद गजसिंह ने लोकार्पण किया था,वे पहले ही दो रोचक एपिसोड जारी कर चुके हैं। खास बात यह है कि यह प्रसंग राठौड़ वंश की वंशावलियों (वंशावली अभिलेखों) में गहराई से उतरते हैं और मध्यकालीन भारत के एक प्रमुख राजवंश के साथ उनके जटिल संबंधों और यहां तक कि स्वयं पूज्य भगवान राम के साथ उनके संबंधों पर प्रकाश डालते हैं।
यह तो आप जानते ही हैं कि राठौड़ वंश ने हमेशा इतिहास प्रेमियों के दिलों में एक विशेष स्थान बनाया है, हां और दिग्पालसिंह राठौड़ और हरेंद्रसिंह जोधा इस समृद्ध विरासत को संजो रहे हैं। उनके सूक्ष्म शोध, सम्मोहक कहानी कहने और प्रामाणिकता के प्रति समर्पण ने उन्हें इतिहास प्रेमियों और विरासत प्रेमी दर्शकों को समान रूप से आकर्षित किया है।
वे राठौड़ वंश के इतिहास के विभिन्न पहलुओं को शामिल करते हुए दस एपिसोड की एक श्रृंखला जारी करने की योजना के साथ, केवल सतह को खंगालने से नहीं रुक रहे हैं, बल्कि अगली श्रृंखला में राजपूत वंशों की समृद्ध टेपेस्ट्री की खोज करते हुए और भी गहराई तक जाने का इरादा रखते हैं।
हां, इतना जरूर है कि जैसे-जैसे डिजिटल युग हमारे इतिहास के साथ जुड़ने के तरीके को फिर से परिभाषित कर रहा है, दिग्पालसिंह राठौड़ और हरेंद्रसिंह जोधा राठौड़ वंश की भूली हुई कहानियों को वापस लाने में अग्रणी साबित हो रहे हैं। अतीत को उजागर करने और इसे दुनिया के साथ साझा करने के प्रति उनका समर्पण सभी के लिए प्रेरक है।
वे राठौड़ वंश के इतिहास के विभिन्न पहलुओं को शामिल करते हुए दस एपिसोड की एक श्रृंखला जारी करने की योजना के साथ, केवल सतह को खंगालने से नहीं रुक रहे हैं, बल्कि अगली श्रृंखला में राजपूत वंशों की समृद्ध टेपेस्ट्री की खोज करते हुए और भी गहराई तक जाने का इरादा रखते हैं।
हां, इतना जरूर है कि जैसे-जैसे डिजिटल युग हमारे इतिहास के साथ जुड़ने के तरीके को फिर से परिभाषित कर रहा है, दिग्पालसिंह राठौड़ और हरेंद्रसिंह जोधा राठौड़ वंश की भूली हुई कहानियों को वापस लाने में अग्रणी साबित हो रहे हैं। अतीत को उजागर करने और इसे दुनिया के साथ साझा करने के प्रति उनका समर्पण सभी के लिए प्रेरक है।
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