भारत से बाहर आत्मीयता और संस्कृति और इतिहास की डोर से जुडा एक भारत है, यह भारत भौगोलिक नहीं,बल्कि वैश्विक भावनात्मक भारत है। सात समंदर पार भारत पुत्रों ने भारत की संस्कृति और इतिहास की रोचक खोज से इतिहास के रिश्तों को वर्तमान से जोडने का उदाहरण पेश किया है।
यह कहानी है दो प्रवासी भारतीयों की। राजस्थान की बान शान के साथ विरासत को संजोने की पूरब से पश्चिम की जुगलबंदी की कोशिश एक खूबसूरत मिसाल बन गई है। डिजिटल मीडिया के युग में दो युवाओं ने समय के माध्यम से एक मनोरम यात्रा कर राठौड़ वंश के गहन इतिहास और भगवान राम के साथ इसके संबंध उजागर करने का बीडा उठाया है। मिलिए दिग्पालसिंह राठौड़ और हरेंद्रसिंह जोधा से, जिन्होंने एक ज्ञानवर्धक वीडियो श्रृंखला से ऐतिहासिक खोज की दुनिया में धूम मचा दी है।
साथ में, ये दोनों युवा राठौड़ वंश के रहस्यों और कहानियों का पता लगाने के मिशन पर निकले , जो एक प्रमुख राजपूत वंश है, जो अपनी वीरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। उनकी वीडियो श्रृंखला का मारवाड़ के पूर्व राजघराने जोधपुर के पूर्व सांसद गजसिंह ने लोकार्पण किया था,वे पहले ही दो रोचक एपिसोड जारी कर चुके हैं। खास बात यह है कि यह प्रसंग राठौड़ वंश की वंशावलियों (वंशावली अभिलेखों) में गहराई से उतरते हैं और मध्यकालीन भारत के एक प्रमुख राजवंश के साथ उनके जटिल संबंधों और यहां तक कि स्वयं पूज्य भगवान राम के साथ उनके संबंधों पर प्रकाश डालते हैं।
वे राठौड़ वंश के इतिहास के विभिन्न पहलुओं को शामिल करते हुए दस एपिसोड की एक श्रृंखला जारी करने की योजना के साथ, केवल सतह को खंगालने से नहीं रुक रहे हैं, बल्कि अगली श्रृंखला में राजपूत वंशों की समृद्ध टेपेस्ट्री की खोज करते हुए और भी गहराई तक जाने का इरादा रखते हैं।
हां, इतना जरूर है कि जैसे-जैसे डिजिटल युग हमारे इतिहास के साथ जुड़ने के तरीके को फिर से परिभाषित कर रहा है, दिग्पालसिंह राठौड़ और हरेंद्रसिंह जोधा राठौड़ वंश की भूली हुई कहानियों को वापस लाने में अग्रणी साबित हो रहे हैं। अतीत को उजागर करने और इसे दुनिया के साथ साझा करने के प्रति उनका समर्पण सभी के लिए प्रेरक है।