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Climate Change: भारत-चीन की वजह से फिर बढ़ रहा कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन का स्तर, 1.5 डिग्री सेल्सियस का लेवल सीमित करना बड़ी चुनौती

वैश्विक स्तर पर कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन एक बार फिर तेजी से बढ़ रहा है। दूसरी ओर, ग्लोबल वार्मिंग को पहले के औद्योगिक स्तर से अधिक 1.5 डिग्री सेल्सियस के स्तर तक सीमित करना बड़ी चुनौती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें कमी लाने के लिए तेजी से प्रयास करने होंगे।
 

Nov 07, 2021 / 07:41 pm

Ashutosh Pathak

नई दिल्ली।
वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन इस वर्ष लगभग वर्ष 2019 के स्तर तक बढ़ सकता है। वहीं, पिछले साल 2020 में कोरोना महामारी को फैलने से रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन के कारण उत्सर्जन के स्तर में काफी कमी आई थी।
इससे पहले, वर्ष 2015 में यह देखने के लिए जलवायु घड़ी बनाई गई थी कि दुनिया कितनी तेजी से 1.5 डिग्री सेल्सियस के टारगेट की ओर बढ़ रही है। दरअसल, यह पेरिस समझौते की सबसे कम सीमा है।
यह घड़ी वैश्विक उत्सर्जन और तापमान के आंकड़ों पर नजर रखती है तथा यह पता लगाने के लिए हाल के पांच वर्षों के उत्सर्जन की प्रवृत्ति पर नजर रखती है कि ग्लोबल वार्मिंग के 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा तक पहुंचने में कितना वक्त रह गया है। 2021 के नए आकलन में लगभग एक साल का समय कम हो जाता है। इसका मतलब है कि 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा पर पहुंचने में हमारे पास 10 साल से कुछ अधिक समय ही बचा है।
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जलवायु घड़ी हमारे वैश्विक जलवायु लक्ष्यों की ओर प्रगति को मापने का तरीका है। हर साल ताजा वैश्विक आंकड़ों को दर्शाने के साथ ही हमारे वैज्ञानिक समझ को सुधारने के लिए हमने घड़ी को अद्यतन किया कि वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस के स्तर तक सीमित रखने के लिए उत्सर्जन को कितने स्तर पर रखना होगा।
इस साल घड़ी में शुरुआती आंकड़ों के कुछ सेटों का इस्तेमाल किया गया। जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी समिति की छठी आकलन रिपोर्ट से वैश्विक तापमान वृद्धि के नए आकलन से पता चला कि जलवायु प्रणाली में सभी तरह की वार्मिंग के लिए मानव द्वारा ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन जिम्मेदार है।
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ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट से पता चलता है कि 2021 में वैश्विक ऊर्जा से संबंधित कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन 2020 से 4.9 प्रतिशत तक बढ़ेगा। हमने जीवाश्म ईंधन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में वैश्विक प्रवृत्ति को दिखाने के लिए हाल के पांच वर्षों के आंकड़ों का इस्तेमाल किया। 2016 से 2021 तक के आंकड़ों से पता चलता है कि वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन हर साल 0.2 अरब टन के औसत तक बढ़ेगा।

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