आखिर क्या है ये प्रोजेक्ट
1- चीन की न्यूज एजेंसी शिन्हुआ और हांगकांग की मीडिया साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक चीन, तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में यारलुंग त्सांगपो नदी (ब्रह्मपुत्र नदी) पर ये विशाल जलविद्युत परियोजना (China dam Tibet) की तैयारी कर रहा है। कहा गया है कि ये प्रोजेक्ट चीन के खुद के थ्री गॉर्जेस बांध समेत पूरी दुनिया में किसी भी दूसरे प्रोजेक्ट से कहीं ज्यादा बड़ा और विशाल होगा। 2- साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक चीन इस डैम के जरिए स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में बढ़ोतरी और जलवायु परिवर्तन समेत जल संबंधी आपदाओं से निपटना चाहता है और ये प्रोजेक्ट पूरी तरह इस उम्मीद पर खरा उतरेगा।
3- इस प्रोजेक्ट से हर साल 300 अरब किलोवाट घंटे बिजली के उत्पादन का दावा किया जा रहा है जो चीन के वर्तमान में सबसे बड़े थ्री गॉर्जेस बांध से भी 3 गुना ज्यादा है।
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इस बांध से समस्या क्या है?
1- इस बांध का निर्माण पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र में हो रहा है। ये इलाका भूकंप संवेदनशील इलाका है। ये इलाका रिंग ऑफ फायर ज़ोन (Ring of Fire Zone) में आता है। ऐसे में इस जगह इतना विशाल निर्माण करने से पर्यावरण और स्थानीय समुदायों पर खतरा पैदा होने की आशंका जताई गई है। 2- इसके अलावा बांध के आकार और पैमाने के चलते चीन को ब्रह्मपुत्र नदी के प्रवाह को नियंत्रित करने की क्षमता मिल जाएगी, जिससे निचले इलाकों में पानी की उपलब्धता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
3- भारत और चीन के बीच जो तनाव अगर उससे प्रभावित होकर चीन ने बड़ी मात्रा में पानी छोड़ा तो भारत के सीमावर्ती इलाकों में बाढ़ का खतरा पैदा हो जाएगा। इससे भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में आपदा की संभावना बढ़ सकती है।
चीन ने क्या कहा?
रिपोर्ट के मुताबिक ये सारी समस्याएं जब इस परियोजना के घोषित होने के बाद सामने आईं तब चीन की तरफ से इस मामले में सफाई दी गई। चीन के विदेश मंत्रालय ने लगभग 6 दिन पहले आधिकारिक बयान जारी हुआ था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने भारत और बांग्लादेश की चिंताओं का जिक्र करते हुए कहा था, “इस परियोजना से निचले इलाकों पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा।” उन्होंने कहा था कि सालों की गहरी रिसर्च और सुरक्षा उपायों के बाद ही इस प्रोजेक्ट की आधिकारिक घोषणा की गई है। उन्होंने ये भी कहा कि चीन मौजूदा चैनलों के जरिेए निचले इलाकों के देशों के साथ संपर्क बनाए रखेगा और आपदा निवारण और राहत पर भी अपनी मदद बढ़ाएगा।
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भारत ने क्या दिया जवाब
ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन के बांध बनाने की इस प्रोजेक्ट पर आई कई मीडिया रिपोर्ट्स के बाद आखिर भारत ने इस पर अपना बयान जारी किया। भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से बीते शुक्रवार रात प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि “हमने चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में यारलुंग त्सांगपो नदी पर एक जलविद्युत परियोजना के संबंध में 25 दिसंबर 2024 को सिन्हुआ की जारी की गई सूचना देखी है। नदी के पानी पर स्थापित उपयोगकर्ता अधिकारों वाले एक निचले तटवर्ती राज्य के तौर पर हमने लगातार विशेषज्ञों के साथ-साथ राजनयिक चैनलों के जरिए चीनी पक्ष से उनके क्षेत्र में नदियों पर मेगा परियोजनाओं पर अपने विचार और चिंताएं जताई हैं। इस नई रिपोर्ट के बाद पारदर्शिता और निचले देशों के साथ परामर्श की जरूरत के साथ इन्हें दोहराया गया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि “भारत ने चीन से कहा है कि उनके प्रोजेक्ट से ब्रह्मपुत्र के निचले राज्यों ऊपरी क्षेत्रों में होने जा रही गतिविधियों से कोई नुकसान ना पहुंचे। भारत चीन के इस प्रोजेक्ट पर लगातार निगरानी करेगा और जरूरत पड़ने पर उपाय करेगा।”
चीन के प्रोजेक्ट की भारत को नहीं थी कोई खबर
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत को ब्रह्मपुत्र नदी पर जो चीन बांध बना रहा है, उसके बारे में चीन ने पहले कोई खबर नहीं दी थी। मीडिया रिपोर्ट्स से भारत को इस बारे में जानकारी मिली है। इसके बाद भारतीय अधिकारियों ने चीनी समकक्षों से इस बारे में पूरी जानकारी देने और भारत और बांग्लादेश, जहां पर ब्रह्मपुत्र नदी बहती है, उनसे बातचीत के लिए संपर्क किया। जिसके बाद ही विदेश मंत्रालय ने इस पर अपना बयान जारी किया। ये भी पढ़ें- चीन और अमेरिका के बीच शुरू हो सकता है साइबर वॉर, ड्रैगन को सुपरपॉवर की धमकी
भारत और बांग्लादेश कैसे प्रभावित
दरअसल चीन ये प्रोजेक्ट हिमालय की विशाल घाटी में तैयार कर रहा है, जहां ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल प्रदेश और फिर बांग्लादेश में बहने के लिए एक बड़ा यू-टर्न लेती है।लद्दाख पर काउंटी बनाने पर क्या बोला भारत
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने चीन के लद्दाख (चीन के कब्जे वाले अक्साई चिन वाले इलाके) में दो काउंटी के निर्माण के ऐलान पर कहा कि “चीन होटन प्रान्त में जो दो नई काउंटी बना रहा है उन तथाकथित काउंटियों के अधिकार क्षेत्र के कुछ हिस्से भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में आते हैं।” भारत ने कहा कि “भारत ने इस क्षेत्र में चीन के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है। नए काउंटियों के निर्माण से ना तो इस क्षेत्र पर भारत की संप्रभुता पर असर पड़ेगा और ना ही चीन के अवैध और जबरन कब्जे को वैधता मिलेगी। भारत ने चीनी पक्ष के समक्ष इस पर विरोध दर्ज कराया है।”
बता दें कि बीती 27 दिसंबर को, समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने बताया था कि उत्तर-पश्चिमी झिंजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र की सरकार ने क्षेत्र में दो नई काउंटियों की स्थापना की घोषणा की है, हीआन काउंटी और हेकांग काउंटी। ये चीन के होटन प्रान्त में बनेंगी।