पहली बार न्यूक्लियर फिजन का प्रयोग 1997 में हुआ
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस प्रक्रिया से ऊर्जा पैदा कर जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं को हल किया जा सकता है, क्योंकि यह ऊर्जा सुरक्षित, स्वच्छ और मात्रा में कहीं ज्यादा होती है।यह प्रयोग यूरोफ्यूजन नाम के समूह ने किया। इसमें यूरोप के 300 से ज्यादा वैज्ञानिक और इंजीनियर शामिल हैं। पहली बार न्यूक्लियर फिजन का प्रयोग 1997 में शुरू हुआ था।
41 हजार मकानों की बिजली सप्लाई के बराबर
ब्रिटेन की एटॉमिक एनर्जी अथॉरिटी के मुताबिक ऑक्सफोर्ड के पास जेट संस्थान में पांच सेकंड तक जो 69 जूल ऊर्जा पैदा की गई। यह 41 हजार मकानों की बिजली सप्लाई के बराबर है। इस प्रयोग में डोनट के आकार की मशीन का इस्तेमाल किया गया, जिसे टॉकमैक कहा जाता है। जेट ने उन्हीं परिस्थितियों में प्रयोग किया, जो बिजली संयंत्रों में होती हैं।
पूरी दुनिया को होगा फायदा
वैज्ञानिकों का कहना है कि जेट में हुए प्रयोग का फायदा पूरी दुनिया को होगा। इस प्रयोग का इस्तेमाल न सिर्फ फ्रांस में फ्यूजन रिसर्च के लिए बनाए जा रहे विशाल संयंत्र में होगा, बल्कि सुरक्षित और कम कार्बन वाली ऊर्जा पैदा करने की कोशिशों में जुटीं दुनियाभर की फ्यूजन परियोजनाओं को भी इससे मदद मिलेगी।