लाइव साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक बैटरी बनाने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि इसे चलाने के लिए किसी तरह के मोशन की जरूरत नहीं है। इसमें कॉयल के अंदर मैग्नेट नहीं घुमाया जाता। यह किसी भी पारंपरिक बैटरी या बिजली पैदा करने वाले यंत्र से कई गुना बेहतर है। इसके अंदर रेडिएशन के कारण इलेक्ट्रॉन्स तेजी से घूमते हैं और बिजली पैदा होती है। यह उसी तरह की प्रक्रिया है, जैसे सोलर पावर के लिए फोटोवोल्टिक सेल्स का इस्तेमाल किया जाता है और फोटोन्स को बिजली में बदला जाता है।
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सबसे कठोर पदार्थ, इसलिए ज्यादा सुरक्षित
ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक नील पॉक्स का कहना है कि दुनिया का सबसे कठोर पदार्थ होने के कारण हीरे को बैटरी के लिए सबसे सुरक्षित माना गया। कार्बन-14 प्राकृतिक तरीके से पैदा होता है। इसका इस्तेमाल परमाणु संयंत्रों को नियंत्रित करने के लिए भी किया जाता है। कार्बन-14 को खुले हाथों से नहीं छुआ जा सकता और न निगला जा सकता है। इसलिए यह जानलेवा साबित नहीं हो सकता। यह भी पढ़ें