ब्रिटेन में नहीं है अभिव्यक्ति की आजादी
बीते शुक्रवार को ‘लंदन गजट’ में इस बात का जानकारी दी गई। इन दोनों भारतीय ब्रिटिशर्स से अपना प्रतीक चिन्ह बकिंघम पैलेस को लौटाने के लिए कहा। रेंजर और भनोट ने इस कदम की निंदा करते हुए इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया। ॉजब्ती संबंधी समिति की सिफारिशें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर (Kier Starmer) के जरिए किंग को दी गई। सामुदायिक सामंजस्य के लिए OBE सम्मान पाने वाले अनिल भनोट ने कहा कि जनवरी में जब्ती कमेटी ने उनसे संपर्क किया था और उन्होंने अपना पक्ष रखा था। उन्होंने कहा कि इस्लामोफोबिया का आरोप लगाने वाली शिकायत, 2021 में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के बारे में उनके ट्वीट्स (अब X) के बारे में थी लेकिन एक वेबसाइट ने इन पोस्ट के बारे में चार्टर्ड अकाउंटेंट्स संस्थान और चैरिटी कमीशन से शिकायत की थी और दोनों ने ही उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के आधार पर बरी कर दिया।
इस्लामोफोबिया मु्द्दे पर गिरफ्तारी
दोनों भारतीय ब्रिटिशर्स का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि जब्ती समिति से शिकायत किसने की है। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उसने इस्लामोफोबिक कुछ भी कहा था। अनिल भनोट ने कहा कि उस समय मंदिरों को नष्ट किया जा रहा था और हिंदुओं पर हमला किया जा रहा था लेकिन मीडिया इसे कवर नहीं कर रहा था। उन्होंने कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया और न ही किसी सम्मान प्रणाली को बदनाम किया है। इंग्लैंड में तो अब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अतीत की बात हो गई है। वे इससे काफी परेशा हैं। क्योंकि ये एक सम्मान है। कंजर्वेटिव पार्टी के समर्थक और ब्रिटेन स्थित एफएमसीजी फर्म सन मार्क लिमिटेड के संस्थापक, लॉर्ड रामी रेंजर के प्रवक्ता ने फैसले को ‘अन्यायपूर्ण’ बताया और कहा कि रेंजर इसे चुनौती देंगे। रेंजर को दिसंबर 2015 की नए साल की सम्मान सूची में दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की ओर से ब्रिटिश व्यापार और एशियाई समुदाय के लिए की गई सेवाओं के लिए सीबीई से सम्मानित किया गया था।