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एक अमरीकी टीवी पर इंटरव्यू के दौरान बिल गेट्स से पूछा गया कि क्या कोरोना की तुरंत तथा प्रभावपूर्ण तरीके से रोकथाम करने के लिए गरीब देशों को वैक्सीन का फॉर्मूला दिए जाना चाहिए। इस प्रश्न का जवाब देते हुए गेट्स ने कहा, “नहीं”। यह भी पढ़ें
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उन्होंने कहा कि भले ही पूरी दुनिया में वैक्सीन की फैक्ट्रीज स्थापित की हुई है और लोगों को अपनी सुरक्षा की चिंता हैं फिर भी दवा का फॉर्मूला नहीं दिया जाना चाहिए। यह एक बहुत ही कठिन काम है। यूएस की एक (जॉन्सन एंड जॉन्सन) फैक्ट्री और भारत की एक फैक्ट्री में अंतर होता है। वैक्सीन को हम अपने पैसे और अपनी एक्सपरटाइज से बनाते हैं। उन्होंने कहा कि वैक्सीन फॉर्मूला किसी रेसिपी की तरह नहीं है कि इसे किसी के भी साथ शेयर किया जा सके। इसके लिए बहुत अधिक सावधानी रखनी होती है, टेस्टिंग करनी होती है, ट्रायल्स करने होते हैं। वैक्सीन बनने के दौरान की हर चीज बहुत ही सावधानी से देखनी होती है।
इंटरव्यू के दौरान दुनिया को चकित करते हुए उन्होंने कहा कि अमरीका और ब्रिटेन में 30 वर्ष से अधिक उम्र वालों को भी वैक्सीन मिल रही है जबकि ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में 60 वर्ष वालों को भी पर्याप्त वैक्सीन नहीं मिल पा रही हैं। हालांकि यह अनुचित है लेकिन एक बार विकसित देशों में वैक्सीनेशन का कार्य पूरा हो जाए, उसके बाद विकासशील और गरीब देशों को वैक्सीन उपलब्ध करवाई जाएगी, इसमें संभव है तीन या चार महीने का समय लग जाए।