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नेतन्याहू और ट्रंप की हुई फोन पर बात, थर-थर कांप रहा ईरान!

Israel-Iran Conflict: इज़रायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने हाल ही में कुछ ऐसा किया है जिससे ईरान थर-थर कांप रहा है। साथ ही नेतन्याहू के इस कदम से इज़रायल और ईरान के बीच युद्ध की आशंका भी बढ़ गई है।

नई दिल्लीDec 16, 2024 / 06:21 pm

Tanay Mishra

Benjamin Netanyahu and Donald Trump talk on call, Iran in shambles

इज़रायल (Israel) और ईरान (Iran) के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। ईरान ने 1 अक्टूबर को इज़रायल के सैन्य ठिकानों पर मिसाइल अटैक करते हुए 180 से ज़्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें दागी थीं। हालांकि इज़रायल ने ईरान की कई मिसाइलों को ध्वस्त कर दिया, लेकिन इज़रायल ने इस हमले को नज़रअंदाज़ नहीं किया। ईरान से बदला लेने के लिए इज़रायल ने 26 अक्टूबर को ईरान की राजधानी तेहरान (Tehran) और आसपास के सैन्य ठिकानों पर मिसाइलें दागते हुए उसका बदला ले लिया था। इज़रायली सेना के हमलों में ईरान के 2 सैनिकों की भी मौत हो गई थी। इसके बाद दोनों देशों में तनाव और बढ़ गया। अब इस बात की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि दोनों देशों के बीच जल्द ही युद्ध की शुरुआत हो सकती है। हाल ही में इज़रायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) ने खुद इस बात के संकेत भी दे दिए हैं।

नेतन्याहू और ट्रंप की हुई फोन पर बात, क्या जल्द शुरू हो सकता है एक और युद्ध?

इज़रायली पीएम नेतन्याहू ने हाल ही में फोन पर अमेरिका (United States Of America) के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) से फोन पर बात की। इस दौरान दोनों ने कई अहम मुद्दों पर बात की, जिनमें इज़रायल के हमास (Hamas) और हिज़बुल्लाह (Hezbollah) के खिलाफ चल रहे युद्ध, ईरान से बढ़ता तनाव, सीरिया (Syria) में बदले हालात जैसे मुद्दों पर बात की। दोनों के बीच हमास की कैद में फंसे हुए बंधकों को गाज़ा (Gaza) से बचाकर लाने के मुद्दे पर भी बात हुई।

ट्रंप लंबे समय से इज़रायल के समर्थक रहे हैं। इतना ही नहीं, ट्रंप के खुले तौर पर कई मौकों पर ईरान पर शब्दों के बाण छोड़ते हुए निशाना साधा है। ट्रंप तो इज़रायल को ईरान पर हमला करने की सलाह भी दे चुके हैं। हमास और हिज़बुल्लाह के खिलाफ युद्ध में शुरू से अमेरिका इज़रायल की मदद कर रहा है। दोनों आतंकी संगठन ईरान समर्थित हैं और दोनों के कमज़ोर होने से मिडिल ईस्ट (Middle East) में ईरान भी कमज़ोर हुआ है।

वहीं सीरिया में बशर-अल असद (Bashar al-Assad) के सत्ता से हटने की वजह से भी ईरान की मिडिल ईस्ट में स्थिति कमज़ोर हुई है। ईरान शुरू से ही असद को समर्थन देता आया है, जिससे सीरिया में ईरान का मज़बूत प्रभाव रहा है। हालांकि अब सीरिया में तख्तापलट के बाद सीरिया से भी ईरान का प्रभाव खत्म हो गया है।

साफ है कि मिडिल ईस्ट में ईरान तीन मोर्चों पर कमज़ोर हो चुका है और यह बात नेतन्याहू से भी नहीं छिपी है। ऐसे में अगर इज़रायल के आने वाले समय में ईरान पर हमला करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। इतना ही नहीं, अगर दोनों देशों के बीच युद्ध हुआ, तो ईरान के खिलाफ अमेरिका खुलकर इज़रायल का साथ देगा, जिससे ईरान में तबाही मच सकती है। युद्ध की आशंका से ईरान के थर-थर कांपने की बात कही जाए, तो गलत नहीं होगा।

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