क्या है ये नई रिसर्च
इंडी 100 पोर्टल की खबर के मुताबिक जर्मनी के ग्रिफ्सवाल्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने ये नई रिसर्च लिखी है। इनमें से मुख्य वैज्ञानिक गेराल्ड केर्थ ने बताया कि “अंतरिक्ष में उड़ान के दौरान इंसानों को कम तापमान में रखने के कई फायदे हैं। यात्रा के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों के सोने का समाधान कैसे हो इसके लिए एक बड़ी रिसर्च की है। जिसमें काफी सकारात्मक नतीजे देखने को मिले है। इससे इंसानों को लंबे समय तक अकेलेपन को नहीं झेलना होगा और इससे होने वाले मनोवैज्ञानिक समस्याओं से भी छुटकारा मिल सकता है। वैज्ञानिक गेराल्ड केर्थ के मुताबिक इंसानों के शरीर के काम करने के तरीके के चलते उनका लंबे समय तक अंतरिक्ष यात्रा करना वास्तविकता में संभव नहीं है। लेकिन हाइबरनेशन यानी शीतनिद्रा से इसे संभव बनाया जा सकता है।
क्या है शीतनिद्रा
हाइबरनेट यानी शीतनिद्रा ऐसी अवस्था होती है जिसमें जानवर, पक्षी, और सरीसृप ठंड के मौसम में ज़मीन के नीचे या ऐसी जगह पर छिप जाते हैं, जहां उन पर ठंड का असर नहीं होता। इस अवस्था में जानवर लगातार सोए रहते हैं। हालांकि इस दौरान उनके शरीर पर काफी बदलाव होते हैं। जैसे शरीर का तापमान कम हो जाता है, पाचन तंत्र धीमा हो जाता है। शारीरिक क्रियाएं रुक जाती हैं या बहुत कम हो जाती हैं, जानवर वसा भंडार से बाहर रहते हैं और कम से कम ऊर्जा का इस्तेमाल करते हैं।इंसानों में कैसे हो हाइबरनेशन
रिसर्च में कहा गया है कि अगर ये हाइबरनेशन इंसान करने में सक्षम हो गए तो ये इस युग की एक गेम-चेंजर तकनीक साबित होगी। जर्मनी के ग्रिफ्सवाल्ड विश्वविद्यालय ने इसी हाइबरनेशन की खोज में चमगादड़ के खून को सबसे मुनासिब पाया। रिसर्च के मुताबिक चमगादड़ के खून में एरिथ्रोसाइट्स नाम की लाल रक्त कोशिकाएं होती हैं, जो चमगादड़ों को शीत निद्रा के दौरान अत्यधिक ठंड में भी जिंदा रहने में अहम भूमिका निभाती हैं।चमगादड़ में कैसे होती ही शीतनिद्रा
वैज्ञानिकों ने चमगादड़ों की दो प्रजातियों, निक्टालस नोक्टुला और रूसेटस एजिपटिएकस के खून में मौजूद एरिथ्रोसाइट्स की तुलना इंसानों में पाए जाने वाले एरिथ्रोसाइट्स से की, जो ठण्डे मौसम में शीत निद्रा में चले जाते हैं। रिसर्च में पाया गया कि जैसे-जैसे तापमान गिरता गया, चमगादड़ों की एरिथ्रोसाइट्स सामान्य तौर पर काम करती रहीं जो ठंड के अनुकूल लगती हैं। इससे चमगादड़ों के पाचन तंत्र और रक्त कोशिकाओं के सर्कुलेशन को जारी रखने में मदद मिलती है। वहीं इसके उलट, जब तापमान सामान्य शारीरिक तापमान से नीचे चला जाता है तो इंसान के एरिथ्रोसाइट्स ज्यादा चिपचिपे और कम लचीले हो जाते हैं। हालांकि अब वैज्ञानिक चमगादड़ के खून की इस खासियत तो समझ चुके हैं जो उन्हें सुरक्षित तरीके से शीत निद्रा में रहने के लिए सक्षम बनाता है।