विडंबना नजर आई
सांप्रदायिकता की कट्टर आलोचक, निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन को घातक छात्र-नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के बीच बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ( Sheikh Hasina) के भागने में एक विडंबना नजर आई है। सुश्री नसरीन ने कहा कि हसीना ने “इस्लामवादियों को खुश करने” के लिए उन्हें बांग्लादेश से बाहर निकाल दिया था, और “वही इस्लामवादी” छात्र आंदोलन का हिस्सा थे, जिन्होंने उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर किया। पाकिस्तान जैसा नहीं बनना चाहिए
लेखिका ने बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री
शेख हसीना ( Sheikh Hasina) के भागने उन पर “इस्लामवादियों को बढ़ने” और भ्रष्टाचार में शामिल लोगों को पनपने देने का आरोप लगाया। उन्होंने अपने देश में सेना शासन के खिलाफ भी बात की और लोकतंत्र की वकालत की। तसलीमा ने कहा,”हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा। वह अपनी स्थिति के लिए जिम्मेदार थीं। उन्होंने इस्लामवादियों को बढ़ने दिया। उन्होंने अपने लोगों को भ्रष्टाचार में शामिल होने की इजाजत दी। अब
बांग्लादेश (Bangladesh coup) को पाकिस्तान जैसा नहीं बनना चाहिए। सेना को शासन नहीं करना चाहिए। राजनीतिक दलों को धर्मनिरपेक्षता वाला लोकतंत्र लाना चाहिए।
जान से मारने की धमकी
गौरतलब है कि सुश्री नसरीन को उनकी पुस्तक “लज्जा” पर कट्टरपंथी संगठनों की ओर से जान से मारने की धमकी के मद्देनजर 1994 में बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था। सन 1993 की किताब को बांग्लादेश में प्रतिबंधित कर दिया गया था, लेकिन यह किताब अन्य जगहों पर बेस्टसेलर बन गई। जेल में बंद सुश्री हसीना की कट्टर प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया उस समय प्रधानमंत्री थीं। लेखिका तब से निर्वासन में रह रही हैं।
देश छोड़ दिया था
उधर बांग्लादेश में रविवार को सबसे घातक प्रदर्शनों में से एक देखा गया, जिसमें पुलिस के साथ झड़प में लगभग 100 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई। इसके परिणामस्वरूप, प्रदर्शनकारियों ने सोमवार को प्रधानमंत्री आवास में तोड़फोड़ की। सुश्री हसीना ने सीधे टकराव से परहेज किया, पहले ही इस्तीफा दे दिया था और एक सैन्य विमान में देश छोड़ दिया था।