भारत सरकार के लिए शर्मनाक
बांग्लादेश के विदेशी सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन (Mohammad Tauheed Hussain) ने विदेशी मीडिया को दिए गए इंटरव्यू देते हुए कहा कि वह अटकलें नहीं लगाना चाहते, लेकिन शेख हसीना वाजिद (Sheikh Hasina Wajid) पर कई मामले चल रहे हैं, यह भारत सरकार के लिए शर्मनाक स्थिति है।तुरंत कोई टिप्पणी नहीं की
तौहीद हुसैन ने कहा कि आंतरिक मंत्रालय और कानून मंत्रालय भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करेंगे, भारत अच्छी तरह से जानता है और मुझे यकीन है कि भारत इस मांग का सम्मान करेगा। उधर, समाचार एजेंसी का कहना है कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने तौहीद हुसैन के बयान पर तुरंत कोई टिप्पणी नहीं की।मुहम्मद यूनुस को प्रमुख नियुक्त किया
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले छात्रों के विरोध प्रदर्शन और 300 से ज्यादा लोगों की मौत के बाद बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजिद ने इस्तीफा दे दिया था और देश छोड़ कर भारत भाग गईं थीं और नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. मुहम्मद यूनुस(Muhammad Yunus) को अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया गया।अलग-अलग मामलों में नामित किया
छात्र आंदोलन के दौरान विरोध प्रदर्शन के दौरान नागरिकों की हत्याओं और हिंसा से संबंधित मामले हसीना वाजिद और उनके समय के महत्वपूर्ण सरकारी अधिकारियों पर दर्ज किए गए हैं और अब तक शेख हसीना वाजिद सहित 10 और हस्तियों को 3 अलग-अलग मामलों में नामित किया गया है।बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार : एक नजर
बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार बांग्लादेश में एक अनिर्वाचित अंतरिम सरकार है जिसे स्वतंत्र और निष्पक्ष आम चुनाव करवाने का काम सौंपा गया है। प्रधानमंत्री के स्थान पर सरकार के प्रमुख मुख्य सलाहकार को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है । मुख्य सलाहकार अन्य सलाहकारों को नियुक्त करता है, जो मंत्रियों के रूप में कार्य करते हैं। नियुक्तियाँ गैर-पक्षपाती होने का इरादा रखती हैं। कार्यवाहक सरकार केवल आवश्यक नीतिगत निर्णय लेने की अनुमति है और वह चुनाव नहीं लड़ सकती।फ्लैशबैक : सन 1996 संविधान संशोधन
बांग्लादेश में सन 1990 के अंत में, लोकतंत्र समर्थक हिंसक अशांति के कारण जनरल हुसैन मुहम्मद इरशाद को राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देना पड़ा था। राजनीतिक दलों के गठबंधन ने अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए मुख्य न्यायाधीश शहाबुद्दीन अहमद को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया और सन 1991 के आम चुनाव के बाद संक्रमणकालीन सरकार को बदल दिया गया था। सन 1996 में, बांग्लादेश के संविधान में 13वें संशोधन द्वारा गैर-पक्षपाती अंतरिम (“कार्यवाहक”) सरकारों की प्रथा को औपचारिक रूप दिया गया। वहीं सन 2006-2008 में कार्यवाहक सरकार रही।