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मजदूर का बेटा, मजदूरों का नेता बनेगा श्रीलंका का राष्ट्रपति, क्या भारत के लिए बन सकते हैं मुसीबत?

Sri Lanka Elections: 2022 के तख्तापलट के बाद श्रीलंका के चुनाव में पहली बार दूसरे चरण की गिनती के बाद अनुरा दिसानायके को विजयी घोषित कर दिया गया है। अनुरा वामपंथी हैं। इस हिसाब से पहली बार श्रीलंका को वामपंथी राष्ट्रपति मिला है।

नई दिल्लीSep 23, 2024 / 02:00 pm

Jyoti Sharma

Anura Dissanayake become President of Sri Lanka relations with India

Anura Dissanayake become President of Sri Lanka relations with India

Sri Lanka Elections: अनुरा कुमारा श्रीलंका के नए राष्ट्रपति होंगे। ये पहला मौका है जब श्रीलंका में कोई वामपंथी नेता राष्ट्रपति होगा। जीत के बाद दिसानायके (Anura Dissanayake) ने कहा कि ये उपलब्धि किसी एक व्यक्ति की नहीं है, बल्कि हजारों लोगों के प्रयास का नतीजा है। जनता विमुक्ति पेरामुना (JVP) पार्टी के नेता दिसानायके इस चुनाव में नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) गठबंधन की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार थे। पहले राउंड के वोटों की गितनी में किसी भी उम्मीदवार को 50 फीसदी से अधिक वोट नहीं मिल पाए। इस कारण चुनाव आयोग ने दूसरे दौर की गिनती शुरू की, जिसके बाद शाम को अनुरा दिसानायके श्रीलंका के नौवें राष्ट्रपति के रूप में चुने गए। 

मजदूर के बेटे हैं दिसानायके

अनुरा कुमारा दिसानायके श्रीलंका के वामपंथी नेता हैं। उनका जन्म 24 नवंबर 1968 को हुआ था। वो जनथा विमुक्ति पेरामुना (JVP) के नेता हैं, जो एक मार्क्सवादी विचारधारा वाली पार्टी है। उन्होंने राजनीति में अपनी यात्रा 1987 में JVP में शामिल होकर शुरू की और 2000 में पहली बार सांसद बने। उन्होंने मंत्री पद पर भी काम किया। 2014 में वह JVP के नेता बने। उनकी पहचान एक कड़े आलोचक के रूप में है, जो अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और श्रीलंका सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते रहे हैं। दरअसल दिसानायके एक गरीब परिवार में जन्मे थे। उनके पिता के मजदूर थे। इसलिए दिसानायके गरीबों के हित में आवाज उठाने वाले नेता के तौर पर भी जाने जाते हैं।

2022 के तख्तापलट के बाद पहला चुनाव

श्रीलंका के इतिहास में ये पहली बार है जब चुनाव में किसी भी उम्मीदवार को जीत के लिए जरूरी 50 प्रतिशत से अधिक मत नहीं मिले, जिसकी वजह से दूसरे राउंड की गिनती की गई। गौरतलब है कि वर्ष 2022 में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बाद गोटाबाया राजपक्षे को राष्ट्रपति पद से हटना पड़ा था। कुछ दिन बाद संसद ने विक्रमसिंघे को नया राष्ट्रपति चुना था। उस वक्त देश बड़े पैमाने पर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था।

लिखेंगे श्रीलंका का नया इतिहास- अनुरा

अनुरा ने कहा कि सदियों से हमने जो सपना संजोया है, वह आखिरकार सच हो रहा है। यह जीत किसी एक व्यक्ति की मेहनत का नतीजा नहीं है, बल्कि लाखों लोगों का सामूहिक प्रयास है। हम मिलकर श्रीलंका के इतिहास को फिर से लिखने के लिए तैयार हैं। इस नई शुरुआत का आधार सिंहली, तमिल, मुस्लिम और सभी श्रीलंकाई लोग हैं। आइए हम हाथ मिलाएं और इस भविष्य को एक साथ मिलकर आकार दें।

भारत के लिए खड़ी हो गई नई मुसीबत?

श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव पर भारत और चीन की नजर है। दिवालियापन से बचाने के लिए भारत ने बड़ी आर्थिक मदद की थी। चीन भी श्रीलंका को लुभाने का प्रयास करता रहता है। विश्लेषकों का कहना है कि रानिल विक्रमसिंघे भारत के करीब हैं। हालांकि, उनके कुछ फैसले भारत के खिलाफ भी रहे हैं, जिनमें चीनी जासूसी जहाजों को लंगर डालने की अनुमति देना और हंबनटोटा बंदरगाह को चीन को लीज पर देना आदि। जबकि अनुरा दिसानयके ने श्रीलंका में शांति सैनिकों भेजने के भारत के फैसले का विरोध किया था। वह चीन के समर्थक भी माने जाते हैं। 
दूसरा सबसे बड़ा कारण है कि श्रीलंका के होने वाले राष्ट्रपति वामपंथी हैं। जानकारों का कहना है कि वामपंथी सरकार भारत के साथ कैसे रिश्ते बनाती है, ये इसी से पता चल जाता है कि जब दिसानायके सिर्फ एक पार्टी के नेता थे तब उन्होंने भारत के हर रुख का विरोध किया तो फिर अब वो तो श्रीलंका की सत्ता में हैं, अब वो भारत के साथ किस तरह से संबंध स्थापित करेंगे इस पर संशय है।

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