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मां के पेट में ही अक्ल के बारे में पता लगाने और बदलाव करने की तकनीक विकसित करने का दावा

Fetal Intelligence: एक अमरीकी स्टार्टअप कंपनी ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसकी मदद से न केवल भ्रूण की बुद्धि ( Fetus Intellignce) का परीक्षण किया जा सकता है, बल्कि उसका आई क्यू लेवल भी बढ़ाया जा सकता है। कंपनी ने यह तकनीक खासकर अमीर जोड़ों के लिए बनाई है, क्योंकि इसका उपयोग करने के […]

नई दिल्लीOct 20, 2024 / 02:19 pm

M I Zahir

Fetal.

Fetal Intelligence: एक अमरीकी स्टार्टअप कंपनी ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसकी मदद से न केवल भ्रूण की बुद्धि ( Fetus Intellignce) का परीक्षण किया जा सकता है, बल्कि उसका आई क्यू लेवल भी बढ़ाया जा सकता है। कंपनी ने यह तकनीक खासकर अमीर जोड़ों के लिए बनाई है, क्योंकि इसका उपयोग करने के लिए कंपनी लाखों की फीस वसूल कर रही है। होप नॉट हेट (hope note hate) नामक एक सामाजिक ग्रुप के स्टिंग ऑपरेशन में यह खुलासा हुआ। जिसमें पता चला कि हेलियोस्पेक्ट जीनोमिक्स नामक इस कंपनी ने आईवीएफ की प्रक्रिया से बच्चा पैदा करवाने वाले कई जोड़ों के साथ काम किया है। रिकॉर्डिंग में दिखाया गया है कि कंपनी इसके लिए 50 हजार डॉलर तक वसूल रही है। इससे मानव जीनों में हस्तक्षेप करने के नैतिक प्रश्न (Ethics ) उठते हैं। इस तकनीक के सामाजिक और नैतिक प्रभावों पर गंभीर विचार करने की आवश्यकता है।

मानसिक क्षमता बढ़ाने का दावा

कंपनी का दावा है कि वह अपनी तकनीक की मदद से परिवार के आनुवंशिक (Genetic) गुणों के आधार पर भ्रूण की बुद्धि के स्तर का पता लगा सकती है, जिसकी मदद से माता पिता बच्चों का चयन कर सकते हैं। इसके अलावा कंपनी का यह भी कहना है कि वह अपनी तकनीक से बच्चों की मानसिक क्षमता को भी बढ़ा सकती है और उनके आइक्यू में छह से अधिक अंक की वृद्धि भी कर सकती है।

जन्म से पहले ही असमानता

कैलिफोर्निया के सेंटर फॉर जेनेटिक्स एंड सोसाइटी की एसोसिएट डायरेक्टर केटी हासन ने कहा, सामाजिक कारणों से जो असमानता जन्म के बाद झेलनी पड़ती है, अब वह जन्म से पहले ही शुरू हो जाएगी। हमें सोचना होगा कि मानवीय गुणों को बदलना कितना सही है? यह खबर वास्तव में कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाती है। एक ओर, यह तकनीक भ्रूण की बुद्धि को बढ़ाने का दावा करती है, जिससे माता-पिता अपने बच्चों के लिए “बेहतर” विकल्प चुन सकते हैं। दूसरी ओर, यह जन्म से पहले ही असमानता को बढ़ा सकती है, जो समाज में पहले से मौजूद असमानताओं को और गहरा कर सकती है।

गंभीर विचार करने की आवश्यकता

विशेषज्ञों का कहना है कि इससे न केवल नैतिक प्रश्न उठते हैं, बल्कि यह सवाल भी खड़ा होता है कि क्या हमें मानव जीनों में हस्तक्षेप करना चाहिए। क्या यह सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ नहीं है? यदि केवल अमीर जोड़ों के पास यह तकनीक उपलब्ध है, तो क्या इससे एक नया वर्गीय विभाजन नहीं बनेगा? इस प्रकार की तकनीकें मानवता के लिए वरदान या चिंता का विषय बन सकती हैं, और इसके दीर्घकालिक प्रभावों पर गंभीर विचार करने की आवश्यकता है।
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