मानसिक क्षमता बढ़ाने का दावा
कंपनी का दावा है कि वह अपनी तकनीक की मदद से परिवार के आनुवंशिक (Genetic) गुणों के आधार पर भ्रूण की बुद्धि के स्तर का पता लगा सकती है, जिसकी मदद से माता पिता बच्चों का चयन कर सकते हैं। इसके अलावा कंपनी का यह भी कहना है कि वह अपनी तकनीक से बच्चों की मानसिक क्षमता को भी बढ़ा सकती है और उनके आइक्यू में छह से अधिक अंक की वृद्धि भी कर सकती है। जन्म से पहले ही असमानता
कैलिफोर्निया के सेंटर फॉर जेनेटिक्स एंड सोसाइटी की एसोसिएट डायरेक्टर केटी हासन ने कहा, सामाजिक कारणों से जो असमानता जन्म के बाद झेलनी पड़ती है, अब वह जन्म से पहले ही शुरू हो जाएगी। हमें सोचना होगा कि मानवीय गुणों को बदलना कितना सही है? यह खबर वास्तव में कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाती है। एक ओर, यह तकनीक भ्रूण की बुद्धि को बढ़ाने का दावा करती है, जिससे माता-पिता अपने बच्चों के लिए “बेहतर” विकल्प चुन सकते हैं। दूसरी ओर, यह जन्म से पहले ही असमानता को बढ़ा सकती है, जो समाज में पहले से मौजूद असमानताओं को और गहरा कर सकती है।
गंभीर विचार करने की आवश्यकता
विशेषज्ञों का कहना है कि इससे न केवल नैतिक प्रश्न उठते हैं, बल्कि यह सवाल भी खड़ा होता है कि क्या हमें मानव जीनों में हस्तक्षेप करना चाहिए। क्या यह सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ नहीं है? यदि केवल अमीर जोड़ों के पास यह तकनीक उपलब्ध है, तो क्या इससे एक नया वर्गीय विभाजन नहीं बनेगा? इस प्रकार की तकनीकें मानवता के लिए वरदान या चिंता का विषय बन सकती हैं, और इसके दीर्घकालिक प्रभावों पर गंभीर विचार करने की आवश्यकता है।