क्या है इंटरल्यून का बड़ा प्लान?
इंटरल्यून के बड़े प्लान के अनुसार चंद्रमा की खोज का नया युग सिर्फ लॉन्चिंग और लैंडिंग तक ही नहीं, बल्कि चंद्रमा पर लंबे समय के लिए उपस्थिति बनाने के साथ ही मंगल ग्रह और उससे आगे तक पहुंचने के बारे में भी है। इसी लिए इंटरल्यून आगे आया है और चंद्रमा पर खुदाई करने की तैयारी में है। ऐसे में मन में सवाल आना स्वाभाविक है कि इंटरल्यून ऐसा क्यों करना चाहता है? दरअसल इंटरल्यून कंपनी चंद्रमा पर हीलियम-3 गैस का खनन करेगी। इस गैस को धरती पर वाणिज्यिक और सरकारी ग्राहकों को बेचा भी जाएगा।
क्या होगा इस प्लान से फायदा?
इंटरल्यून के अनुसार चंद्रमा पर खुदाई और हीलियम-3 के खनन से अन्य प्राकृतिक संसाधनों के दोहन का मार्ग प्रशस्त होगा। इससे प्रौद्योगिकी के मामले में स्पेस इकोनॉमी को भी मज़बूत शुरुआत मिलेगी और सरकारी समर्थन के बिना इसके भुगतान के लिए रेवेन्यू भी पैदा होगा।
कब से शुरू होगा खनन?
इंटरल्यून चंद्रमा पर खुदाई और हीलियम-3 के खनन के लिए 2028 तक चंद्रमा पर एक प्लांट लगाएगी। इसके बाद कंपनी खनन का काम 2030 से शुरू कर देगी।
नासा की मदद से इंटरल्यून भेजेगी चंद्रमा पर हार्वेस्टर
इंटरल्यून के संस्थापक और ब्लू ओरिजिन के पूर्व अध्यक्ष रॉब मेयर्सन ने हाल ही में जानकारी देते हुए बताया कि अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) के किसी भी आगामी वाणिज्यिक चंद्रमा मिशन में कंपनी अपने हार्वेस्टर को चंद्रमा पर भेजेगी।
149 करोड़ रुपये की मिली फंडिंग
इंटरल्यून ने हाल ही में जानकारी देते हुए बताया कि अपने मिशन के लिए उन्हें करीब 149 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली है। इंटरल्यून इस फंडिंग का इस्तेमाल चंद्रमा की सतह पर खुदाई करत्ते हुए हीलियम-3 गैस निकालने के लिए करेगी।