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अमेरिका ने बांग्लादेश में कराया तख्तापलट! खतरे में आ गए हिंदू

USA Responsible For Bangladesh Coup?: बांग्लादेश में तख्तापलट हुए एक महीना हो गया है। शेख हसीना के इस्तीफे के बाद बांग्लादेश में हालात काफी बिगड़ गए थे। तख्तापलट की वजह से बांग्लादेश में हिंदुओं पर भी काफी अत्याचार हुए और उनकी ज़िंदगी खतरे में आ गई। जिस तख्तापलट से बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति पूरी तरह से बदल गई, उसके पीछे अमेरिका का हाथ बताया जा रहा है।

नई दिल्लीSep 05, 2024 / 04:25 pm

Tanay Mishra

USA behind coup in Bangladesh!

बांग्लादेश (Bangladesh) में पिछले महीने तख्तापलट हो गया, जिसके चलते शेख हसीना (Sheikh Hasina) को पीएम पद से इस्तीफा देकर अपनी जान बचाने के लिए भारत में शरण लेनी पड़ी। छात्र आंदोलन से शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों ने कुछ ही समय में दंगों का रूप ले लिया। देखते ही देखते बांग्लादेश हिंसा की आग में जलने लगा। शेख हसीना के इस्तीफे के बाद से तो देश में स्थिति काफी खराब हो गई। दंगाइयों ने शेख हसीना के घर में लूटपाट की, उनकी पार्टी के कई सदस्यों को ज़िंदा जला दिया, घरों-दुकानों में तोड़फोड़ और आगजनी की और लूटपाट से भी पीछे नहीं हटे। बांग्लादेश में इस स्थिति का सबसे बुरा असर पड़ा बांग्लादेशी हिंदुओं पर। दंगाइयों ने हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की, कत्लेआम मचाया, लूटपाट की, हिंदू महिलाओं के साथ बलात्कार किया और पूरे बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं को डर के साये में रहने के लिए मजबूर कर दिया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस तख्तापलट के पीछे एक देश की अहम भूमिका थी? पढ़कर मन में सवाल आना स्वाभाविक है कि कौनसा देश? हम बात कर रहे हैं अमेरिका (United States Of America) की।

रिपोर्ट से हुआ बड़ा खुलासा

सेंटर फॉर डेमोक्रेसी, प्लुरलिज़्म एंड ह्यूमन राइट्स की हालिया जारी की गई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बांग्लादेश में 5 जून के बाद हुए छात्र आंदोलन में अमेरिका का सीधा हाथ था। इसमें कहा गया है कि छात्र आंदोलन से पहले ही बांग्लादेश में अमेरिकी राजनयिकों और दूतों की सक्रियता बढ़ गई थी। सेंटर फॉर डेमोक्रेसी, प्लुरलिज़्म एंड ह्यूमन राइट्स ने बुधवार को कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में बुधवार 4 सितंबर को रिपोर्ट जारी की। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बांग्लादेश में अल्पसंख्यक वर्ग और हिंदूओं पर हो रहे अत्याचारों पर विस्तार से जमीनी स्थिति की जानकारी देना था। कार्यक्रम में पूर्व सांसद एवं विशिष्ठ पत्रकार स्वपन दासगुप्ता मुख्य अतिथि थे एवं बीइंग हिंदू इन बांग्लादेश के लेखक और पत्रकार दीप हलदर तथा प्रख्यात पत्रकार एवं लेखक अभिजीत मजूमदार सम्मानित अतिथियों के रुप में कार्यक्रम में उपस्थित रहे। रिपोर्ट में कहा गया है कि 5 जून को आरक्षण मुद्दे पर शुरू हुए प्रदर्शनों ने एक बड़े राजनीतिक आंदोलन का रूप ले लिया, जिसमें धार्मिक अल्पसंख्यकों पर व्यापक रूप से हमले हुए। रिपोर्ट के अनुसार इसमें अमेरिकी डीप स्टेट की भूमिका थी।

हिंदुओं को खतरा

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दीप हलदर ने कहा कि शेख़ हसीना ने बांग्लादेश में हिंदुओं को जो सुरक्षा प्रदान की थी, वो अब खत्म हो चुकी है। उनके राज में भी हिंदुओं पर हमले हुए थे, लेकिन तक शेख हसीना स्थिति का जायज़ा लेते हुए हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करती थीं। लेकिन अब उनके जाने के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं को काफी खतरा है। बांग्लादेश में चल रहे मदरसा भी युवाओं के मन में हिंदुओं के प्रति नफरत फैलाने का काम करते हैं।

वैश्विक समुदायों को उठाने चाहिए कदम

हलदर ने कहा कि वैश्विक समुदायों को बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ कदम उठाने चाहिए। हलदर के अनुसार इन वैश्विक समुदायों को बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की स्थिति का पर्यवेक्षण करते हुए उनकी परिस्थितियों में सुधार करने के लिए ज़रूरी कदम उठाने चाहिए।

भारत सरकार एवं भारतीय हिंदू समाज की विफलता

कार्यक्रम में शामिल अन्य अतिथि अभिजीत मजूमदार ने कहा कि बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति भारत सरकार एवं भारतीय हिंदू समाज की विफलता का परिचायक है। मजूमदार ने कहा कि भारत सरकार ने बीएनपी एवं जमात के अलावा किसी तीसरे विकल्प के बारे में नहीं सोचा और इसी वजह से पूरा देश बिखर गया। जिस तरह से भारत ने तालिबान और अफगान सरकार दोनों के साथ मित्रता स्थापित की थी, अगर बांग्लादेश में भी अन्य विकल्पों पर ध्यान दिया गया होता तो परिस्थिति इतनी नकारात्मक नहीं होती।

हिंदू समेत सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा ज़रूरी

कार्यक्रम में शामिल डॉ. प्रेरणा मल्होत्रा ने कहा कि बांग्लादेश में इस्लामीकरण इतना बढ़ चुका है कि पूरा देश एक ज्वालामुखी के ऊपर बैठा सा प्रतीत हो रहा है जिसमें कभी भी विस्फोट हो सकता है। यह बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के लिए घातक साबित होगा। वर्तमान परिस्थिति से यह साफ है की बांग्लादेश अल्पसंख्यक हिंदुओं, बौद्धों, जैनों, सिक्खों, ईसाइयों के लिए असुरक्षित और अनुपयुक्त है। ऐसे में अगर विभिन्न देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों व संस्थाओं के द्वारा यदि कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो आने वाले समय में हिंदू समेत सभी अल्पसंख्यक बांग्लादेश से धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगे।

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