दरअसल अमरीका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर एक प्रेस कांफ्रेंस में थे। इस दौरान एक पाकिस्तानी रिपोर्टर (Pakistan) ने मिलर से सवाल पूछ लिया कि “भारत में विपक्षी दलों को लेकर अमरीका खूब बोल रहा है, उनका समर्थन कर रहा है लेकिन पाकिस्तान को लेकर उसका रुख ऐसा क्यों नहीं रहता? अमरीका पाकिस्तान के विपक्ष के लिए क्यों नहीं बोलता? रिपोर्टर ने पूछा कि भारत का कोई विपक्षी नेता (Delhi CM Arvind Kejriwal) जेल में बंद होता है तो तुरंत अमरीका का बयान आता है लेकिन पाकिस्तान में ऐसा कुछ होता है तो उसका कोई बयान क्यों नहीं आता? पाकिस्तान में कई बड़े नेता इस समय जेल में बंद हैं इनमें को कई महिला नेता भी हैं। तो फिर इस पर अमरीका क्यों कुछ नहीं बोलता है?”
पाकिस्तानी रिपोर्टर का ये सवाल सुनने के दौरान मैथ्यू मिलर (Matthew Miller) के चेहरे की हवाईयां उड़ी हुई नज़र आ रही थीं। हालांकि उन्होंने इस बात का जवाब दिया कि अमेरिका (America) का रुख भारत और पाकिस्तान, दोनों देशों के लिए एक ही है। हम ऐसा नहीं मानते हैं पाकिस्तान में तो हम चाहते हैं कि वहां भी मानवाधिकार सुरक्षित रहें। वहां भी हर किसी के साथ कानून के मुताबिक ही बर्ताव हो।
जेल में बंद इमरान खान के लिए था सवाल
बता दें कि पाकिस्तानी रिपोर्टर का ये सवाल जेल में बंद पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ यानी PTI के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) के लिए था। क्योंकि जब उनकी गिरफ्तारी हुई थी और जेल में डाला गया था तो अमेरिका की तरफ से कोई बयान नहीं आया था।
अमेरिका ने पहले दिया था ये बयान
बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi CM Arvind Kejriwal) के मामले में अमेरिका ने बयान दिए थे। जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत इस मामले में पारदर्शी कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई करे। इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कड़ी आपत्ति जताई थी। (America On Arvind Kejriwal) विदेश मंत्रालय ने कहा था कि “भारत की कानूनी प्रक्रियाएं एक स्वतंत्र न्यायपालिका पर आधारित हैं जो समय पर परिणाम के लिए प्रतिबद्ध है। उस पर इस तरह का आरोप लगाना गलत है। इसके बाद विदेश मंत्रालय ने मिशन के कार्यवाहक उप प्रमुख ग्लोरिया बर्बेना को तलब किया। मंत्रालय ने कहा था कि “कूटनीति में देशों से दूसरे देशों की संप्रभुता और आंतरिक मामलों का सम्मान करने की अपेक्षा की जाती है। लोकतांत्रिक देशों के मामले में ये जिम्मेदारी और भी ज्यादा बढ़ जाती है।”
जर्मनी के बयान पर भारत ने लताड़ा था
अमरीका से पहले 23 मार्च को जर्मनी ने भी केजरीवाल (Geremany on Arvind Kejriwal) की गिरफ्तारी पर बयान दिया था। जर्मनी ने कहा था कि भारत के एक लोकतांत्रिक देश है। यहां पर न्यायालय स्वतंत्र है। केजरीवाल के केस में भी भारत नियमों का, उसूलों को पालन करेगा। उन्हें बगैर किसी रोक-टोक के कानूनी सहायता मिलनी चाहिए। तब भारत ने कह दिया था कि उसके आंतरिक मामले में दखल देने की जरूरत किसी देश को नहीं है। भारत ने जर्मनी के राजनयिक से जवाब भी मांगा था जिसके बाद जर्मनी ने बीते गुरुवार को एक बयान जारी कर कह दिया था कि उसे भारत के आंतरिक मामलों से कोई लेना-देना नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र भी दे चुका है Delhi CM Arvind Kejriwal पर बयान
29 मार्च को (UN on Arvind Kejriwal) संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि “हम उम्मीद करते हैं कि भारत में और जैसा चुनाव वाले किसी भी देश में होता है कि राजनीतिक और नागरिक अधिकारों सहित सभी के अधिकार सुरक्षित रहें और हर कोई स्वतंत्र और निष्पक्ष माहौल में मतदान कर सके।”
शराब नीति घोटाले मामले में हुई है केजरीवाल की गिरफ्तारी
बता दें कि ये मामला 2021-22 में दिल्ली सरकार की शराब को लेकर उत्पाद शुल्क नीति (Delhi liquor Policy) को तैयार करने और उसे क्रियान्वित करने में कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा हुआ है, हालांकि उपराज्यपाल की नामंजूरी के बाद इसे रद्द कर दिया गया था। इसी केस में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई है और इससे पहले लगभग एक साल पहले दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की भी गिरफ्तारी हुई थी। अब केजरीवाल को तिहाड़ जेल में बंद कर दिया गया है।