कहा जाता है अंडरकवर
यासमीना कहती हैं कि, तालिबान को मेरे काम से नफरत है, क्योंकि वो नहीं चाहता कि अफगानिस्तान पोर्न के लिए जाना जाए। तालिबानी मानते हैं कि मेरे शरीर पर उनका अधिकार है और यदि मैं अपना शरीर दिखाती हूं तो सच्ची अफगानी नहीं हूं। यासमीना की मानें तो उन्हें रोज कई ऐसे मैसेज मिलते हैं, जिनमें उन्हें यहूदी या अंडरकवर कहा जाता है।
यह भी पढ़ें – अफगानिस्तान में भूकंप के झटके, 12 लोगों की मौत, कई घायल छोटी यासमीना के पास कोई ऑप्शन नहीं था और उसने तालिबान राज में खुद को बचाते हुए जिंदगी की जद्दोजहद जारी रखी और फिर वो बाद में किसी तरह अफगानिस्तान से निकलने में कामयाब रही। यासमीना अली पढ़ाई के लिए ब्रिटेन आ गई और दूसरी तरफ अफगानिस्तान में एक बार फिर से तालिबान का राज स्थापित हो गया।
खुद को एक नारीवादी कार्यकर्ता मानने वाली यासमीना अली अपने आप को अफगानिस्तान की नंबर वन और इकलौती पॉर्न स्टार मानती हैं। यासमीना अली का कहना है कि, तालिबान को उसके बारे में सबकुछ पता है और तालिबानियों को उनकी वेबसाइट से सारी जानकारियां मिलती रहती हैं।
यासमीना अली ने बताया कि अफगानिस्तान में उनका जीवन कितना विपरीत और तकलीफों से भरा था। जब वो छोटी थी तो अकसर उसकी मां बताती रहती थी कि, तालिबान के लिए बलात्कार जैसी कोई चीज नहीं थी।
यासमीना कहती हैं कि, तालिबान को मेरे काम से नफरत है, क्योंकि वो नहीं चाहता कि अफगानिस्तान पोर्न के लिए जाना जाए। तालिबानी मानते हैं कि मेरे शरीर पर उनका अधिकार है और यदि मैं अपना शरीर दिखाती हूं तो सच्ची अफगानी नहीं हूं। यासमीना की मानें तो उन्हें रोज कई ऐसे मैसेज मिलते हैं, जिनमें उन्हें यहूदी या अंडरकवर कहा जाता है।
यह भी पढ़ें – अफगानिस्तान में भूकंप के झटके, 12 लोगों की मौत, कई घायल छोटी यासमीना के पास कोई ऑप्शन नहीं था और उसने तालिबान राज में खुद को बचाते हुए जिंदगी की जद्दोजहद जारी रखी और फिर वो बाद में किसी तरह अफगानिस्तान से निकलने में कामयाब रही। यासमीना अली पढ़ाई के लिए ब्रिटेन आ गई और दूसरी तरफ अफगानिस्तान में एक बार फिर से तालिबान का राज स्थापित हो गया।
खुद को एक नारीवादी कार्यकर्ता मानने वाली यासमीना अली अपने आप को अफगानिस्तान की नंबर वन और इकलौती पॉर्न स्टार मानती हैं। यासमीना अली का कहना है कि, तालिबान को उसके बारे में सबकुछ पता है और तालिबानियों को उनकी वेबसाइट से सारी जानकारियां मिलती रहती हैं।
यासमीना अली ने बताया कि अफगानिस्तान में उनका जीवन कितना विपरीत और तकलीफों से भरा था। जब वो छोटी थी तो अकसर उसकी मां बताती रहती थी कि, तालिबान के लिए बलात्कार जैसी कोई चीज नहीं थी।
मुस्लिम मर्दों की भी होती थी पिटाई
यासमीना ने कहा कि, मैंने उन्हें देखा है और मुझे काबुल में परेड याद है। यह वैसा ही था जैसा गर्मियों में होता था।” आप अपने आस-पास इस हिंसा को देखते हैं तो काफी निराश होते हैं। सिर्फ महिलाओं से ही नहीं, बल्कि तालिबान के लोग मुस्लिम मर्दों को भी बुरी तरह से पीटते थे।
यासमीना ने कहा कि, मैंने उन्हें देखा है और मुझे काबुल में परेड याद है। यह वैसा ही था जैसा गर्मियों में होता था।” आप अपने आस-पास इस हिंसा को देखते हैं तो काफी निराश होते हैं। सिर्फ महिलाओं से ही नहीं, बल्कि तालिबान के लोग मुस्लिम मर्दों को भी बुरी तरह से पीटते थे।
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महिलाओं से डरते हैं तालीबानी
यासमीना ने बताया कि, तालिबानी महिलाओं को शिक्षित करने से डरते हैं और उन्हें पढ़ी लिखी महिलाओं से डर लगता है। उन्होंने कहा कि, ‘सभी नियम केवल पुरुषों के फायदे और आनंद के लिए हैं और माहवारी के दिनों में आपको अपवित्र और गंदा माना जाता है।’
महिलाओं से डरते हैं तालीबानी
यासमीना ने बताया कि, तालिबानी महिलाओं को शिक्षित करने से डरते हैं और उन्हें पढ़ी लिखी महिलाओं से डर लगता है। उन्होंने कहा कि, ‘सभी नियम केवल पुरुषों के फायदे और आनंद के लिए हैं और माहवारी के दिनों में आपको अपवित्र और गंदा माना जाता है।’