किस दौर का है ये मंदिर?
अमेरिका में स्थित विज्ञान और प्रकृति से जुड़ी खबरों का अध्ययन करने वाली पत्रिका स्मिथसोनियन मैग्ज़ीन ने एक हफ्ते पहले एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। जिसके मुताबिक मिस्र में नील नदी के पास बसे अथ्रीबिस नामक स्थान पर जर्मन और मिस्र के पुरातत्वविदों की एक टीम ने इस पर शोध किया है। इन पुरात्तवविदों ने एक 2100 साल पुराने मंदिर की खोज की है। ये प्राचीन मिस्र की सभ्यता और धार्मिक परंपराओं का एक अहम केंद्र माना गया है। पुरात्तवविदों के मुताबिक ये मंदिर ‘टॉलेमिक युग’ (लगभग 2वीं शताब्दी ईसा पूर्व) के दौरान बनाया गया था। ये मंदिर उस वक्त का है जब टॉलेमी वंश मिस्र पर शासन कर रहा था, जिसकी स्थापना सिकंदर (अलेक्जेंडर) के जनरल टॉलेमी ने की थी।किस देवी का है ये मंदिर?
इस पत्रिका में पुरात्तवविदों के शोध का हवाला देते हुए बताया गया है कि ये मंदिर प्रेम, संगीत,कला और सौंदर्य की देवी ‘हैथोर’ को समर्पित है। हैथोर प्राचीन मिस्र में एक महत्वपूर्ण देवी मानी जाती थीं। मंदिर के गर्भगृह में देवी हैथोर की प्रतिमा और दूसरे अनुष्ठान में इस्तेमाल किए जाने वाला सामान भी मिला है। पुरातत्वविदों की खुदाई के दौरान इस मंदिर में बड़ी संख्या में भित्तिचित्र (Hieroglyphs), चित्रलिपियां और शिलालेख मिले है, इन पर मुस्लिम देश मिस्र की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों के बारे में बताया गया है। मंदिर की दीवारों पर चित्र और आलेख देवी हैथोर की पूजा, अनुष्ठानों और टॉलेमिक युग के जीवन को बतलाते हैं। इन शिलालेखों में प्राचीन मिस्र की डेमोटिक और हायरोग्लिफिक लिपियां मिली हैं। डेमोटिक लिपि टॉलेमिक युग में आम बोल-चाल की भाषा के तौर पर बोली जाती थी। यह स्थान प्राचीन मिस्रवासियों के लिए पूजा और सांस्कृतिक आयोजनों का केंद्र था।