आखिर क्यों दुनिया से 7 साल पीछे जी रहा इथियोपिया
इथियोपिया कैलेंडर.नेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक इथियोपिया में वर्ष के इतने पीछे रहने का कारण है वहां का कैलेंडर। इथियोपिया में गीज़ नाम का कैलेंडर (Ethiopia Calendar) इस्तेमाल किया जाता है। ये कैलेंडर दुनिया के स्वीकृत किए ग्रेगोरियन कैलेंडर से काफी अलग है। गीज़ कैलेंडर में 12 नहीं बल्कि 13 महीने होते हैं। ये 13 महीने पूरे साल को खत्म करते-करते दुनिया से 7 साल 8 पीछे चले गए हैं। इथियोपिया का नया साल 1 जनवरी की जगह 11 सितंबर (ग्रेगोरियन कैलेंडर) को मनाया जाता है। अभी वहां पर 2017 चल रहा है।कैलेंडर में क्या है खास?
1- 13 महीनों वाले इस गीज़ कैलेंडर (Ethiopia Calendar) के 13वें महाने को ‘पागुमेन’ कहते हैं। इस महीने में 5 दिन होते हैं। जबकि लीप ईयर में 6 दिन होते हैं। 2- ये कैलेंडर, रोमन चर्च ने 525 ईस्वी में संशोधित किया था। इथियोपियन रूढ़िवादी चर्च का मानना है कि ईसा मसीह (Jesus Christ) का जन्म 7 ईसा पूर्व में हुआ था। 3- ये कैलेंडर इथियोपिया के कृषि मौसमों से भी जुड़ा हुआ है। हालांकि अब कई लोग ग्रेगोरियन कैलेंडर (Gregorian Calendar) का इस्तेमाल करते हैं। ये कैलेंडर आम तौर पर कॉप्टिक ईसाई धर्म से प्रेरित माना जाता है।
4- इथियोपिया कैलेंडर कॉप्टिक मिस्र कैलेंडर जैसा ही है क्योंकि दोनों में 13 महीने होते हैं। इनमें 12 महीनों में तो 30 दिन होते हैं आखिरी 13वें महीने जिसमें सिर्फ 5 या 6 दिन होते हैं उन्हें ‘भूले हुए दिन’ कहा गया है।
5- ऑर्थोडॉक्स तेवाहेडो चर्च, जहां इथियोपिया कैलेंडर ने सबसे पहले अपनी जड़ें जमाईं, उसने भी कैलेंडर की संरचना और अस्तित्व को प्रभावित किया है।