वर्क एंड लाईफ

सेल्फी के जुनून से बचाएं खुद को, पड़ सकता है भारी

ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिनमें एक अच्छी तस्वीर लेने के लिए युवा जान जोखिम में डाल लेते हैं

Jan 15, 2016 / 01:32 pm

सुनील शर्मा

Selfie Stick

हाल ही में जम्मू और मुंबई में सेल्फी क्रेज के कारण हु़ई दो मौतों ने अगर आपको सोचने पर मजबूर कर दिया है तो ध्यान रखना जरूरी है कि आपके बच्चे भी अपने दोस्तों को प्रभावित करने के लिए किसी ऐसे ही खतरनाक पोज में सेल्फी न खींचें।

गुडग़ांव के कोलंबिया एशिया अस्पताल में मनोचिकित्सा विभाग के परामर्शदाता डॉ आशीष मित्तल के मुताबिक, ‘ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिनमें एक अच्छी तस्वीर लेने के लिए युवा जान जोखिम में डाल लेते हैं। इसे देखते हुए आदत और जुनून में फर्क करना जरूरी है।’

पिछले साल मुंबई में नवंबर में एक 14 वर्षीय स्कूली छात्र की एक खड़ी ट्रेन के डिब्बे के ऊपर सेल्फी लेने की कोशिश में बिजली का झटका लगने से मौत हो गई। मित्तल ने कहा, ”माता-पिता को इस मामले में सावधान रहना चाहिए, क्योंकि यह एक गंभीर मसला बन चुका है। हो सकता है कि सेल्फी के क्रेज में डूबे उनके बच्चों को विशेषज्ञ की सहायता की जरूरत हो।”

एक अच्छी सेल्फी लेने की कोशिश में पिछले साल विश्वभर में कई लोगों की जान जा चुकी है। पाकिस्तान के रावलपिंडी में एक चलती ट्रेन के सामने सेल्फी लेने की कोशिश में एक 22 वर्षीय युवक की जान चली गई, तो वहीं पिछले साल सितंबर में रूस में एक 17 वर्षीय किशोर ने एक नौ मंजिला इमारत की छत से एक बिल्कुल अलग सेल्फी पोज लेने की कोशिश में जान गवां दी।

सेल्फी के कारण होने वाली मौतों से चिंतित रूसी पुलिस ने सेल्फी लेते समय सावधान रहने के निर्देश देने के लिए हाल ही में ‘सेफ सेल्फीज’ अभियान की शुरुआत की थी। नई दिल्ली स्थित फोर्टिस अस्पताल के मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियराल साइंस विभाग के निदेशक डॉ समीर पारिख के मुताबिक, ”सेल्फी के के्र्रज से कोई भी अनजान नहीं है, लेकिन किसी खतरनाक स्थिति में सेल्फी लेना किसी बड़ी दुर्घटना को अंजाम दे सकता है।”

डॉ. पारिख ने कहा, ”सोशल मीडिया पर दोस्तों द्वारा सेल्फी पसंद न किए जाने पर भी तनाव बढ़ा सकता है। इसे गंभीरता से लेना जरूरी है अन्यथा यह शौक जुनून में तब्दील हो सकता है।” राजधानी स्थित बी एल के सुपर स्पेशियेलिटी अस्पताल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ एस सुदर्शन के मुताबिक, ”सेल्फी को जुनून की तरह नहीं, केवल एक शौक के तौर पर लेना चाहिए।”

डॉ. मित्तल सलाह देते हैं, ”हम उम्र दोस्तों के दबाव में न आएं और शौक और जुनून के फर्क को समझें, क्योंकि आखिरकार यह केवल एक तस्वीर ही है।”

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