यह दिन विशेष ही हमें बताता है कि, आस का सरकना, निकलना और चमकना यूँ भी होता है। फूलों की तस्वीरें उतारता कैलेण्डर एक नया साल तोहफ़े में दे जाता है और साथ ही दे देता है; ढ़ेर सारा वक्त, ढ़ेर सारे सपने, उन्हें पूरा करने का विश्वास और जीवन जीने का सलीका भ। यही उल्लास, नयापन, ढ़ेर सारे संकल्प और कोरे पन्ने से कोमल पल शायद बीतें बरस की खुली सीवने सिलने का काम करते हैं। जीवन की किताब की ज़िंदगियों में बिखरे सारे किरदार कमोबेश एक जैसे ही होते हैं। बस जीवन जीने का सलीका उन्हें अलग बना दिया करता है। चाहना की थाप पर जीवन सतत् सरकता रहता है पर उत्साह का ईंधन अगर शामिल हो जाए तो जीवन कोमल राग बन जाता है।
मंजिलें कभी स्थायी नहीं हुआ करती, स्मृतियों के संसार में स्थायी तो होते हैं सफ़र। मंजिलें एक अंतहीन सफ़र में फ़कत पड़ाव भर हैं। ये मंजिलें कितनी खूबसूरत हो सकती है केवल और केवल हम पर निर्भर हैं। सफ़र न केवल हमारे अनुभवों का ज़जीरा बन जाता है वरन् वही अनगिनत सीखें देकर जीवन में सामंजस्य भी पैदा कर सकता है। यह सकारात्मक संकेत है, अगर आप नए सफर को लेकर उत्साही हैं क्योंकि यह आपके जीवन का खूबसूरत पड़ाव बनने वाला होता है। इस उत्साह की ललाई प्रेमिका के गालों की तरह होती है जो अपने प्रेयस् के साथ ताउम्र सुखद जीवन बिताने का सपना लिए होती है।नया साल किसी मेड़ पर थिरकते गीत सा खूबसूरत सफ़र का हिस्सा बनकर आता है। वाकई इन क्षणों को महसूस कर सृष्टि के जादू को सहज ही पहचाना जा सकता है।
हर जीवन अपने लिहाफ़ में उजास और स्याह दोनों पक्ष छिपाए रखता है। जीवन के नैरन्तर्य के लिए दोनों ही ज़रूरी भी है। इसलिए अगर उदास हैं तो किसी दूसरे चेहरे की उदासी को दूर करने का प्रयास कीजिए; उसके चेहरे की मुस्कान देखकर एक सुखद संतोष और स्थायी खुशी चेहरे पर खुदबखुद थिरक उठेगी। नव वर्ष में हमारा प्रयास जीवन के उजालों को खोजने का हो, अंधेरों को सहेजने का नहीं। कोशिश करें, कि उदासी अगर पास आए भी तो उसे शब्दों में उतार या किसी गीत में डूबा कर या चाय की एक प्याली के नाम कर, चेहरे पर सजा लिया जाय, जीने के यूँही तो हज़ार हज़ार तरीके हुआ करते हैं।
हमारे जीवन मूल्य हमें जीवित रखते हैं। दरअसल यह एक जिजीविषा की भाँति है जो हमें सतत् प्रेरणा देते रहते हैं। अगर प्रेरक विचारों की आवक बनी रहे तो जीवन की बगिया महकने लगती है। अगर रचनात्मक विचार ना हों तो नूतन पुरातन जैसा कुछ नहीं। विचार ही एक जीवन दृष्टि विकसित कर दुनिया को खूबसूरत बनाते हैं। उस करुणानिधान से इस वर्ष में यह प्रार्थना कि दुनिया में समता और बराबरी का भाव बढ़े, व्यष्टि में समष्टि लय हो जाय, विचार वैभिन्न्य के लिए सम्मान की धारणा का विकास हो औऱ नफ़रत, स्वार्थ औऱ नकारात्मक शक्तियों की तासीर कम होकर क्षीण हो जाय। साथ ही हिंसा, उपद्रव पर सावन की फुहारें बरसें, रक्तरंजित धरा पर प्रेम की धानी फसल उग आए, भूभागों का सियासती बँटवारा दिलों पर हावी ना हो और यूँ मानवता की विजय हो जाए।
किसी ने खूब कहा है कि एक चिराग, एक किताब और एक उम्मीद अगर ज़िंदा है तो जीवन की जानिबें सलीकें से चढ़ी जा सकती है। जीने की समझ विकसित करने के लिए किताबों से उम्दा कोई साथी नहीं। नए साल में कुछ कदम आगे बढ़ने के लिए किताबों को गर हम अपना साथी बना लें तो जीवन सुखद हो सकता हैं। इन तिलस्मी इबारतों को पढ़ते-पढ़ते जीवन के न जाने कितने दरिया और सैलाब सिमट जाते हैं, पता ही नहीं चलता। हमारी जानकारी का संसार बहुत सीमित होता है। ससीम को असीम बनाने का काम ये किताबें ही करती हैं। किताबों का संसार अब तकनीक का हमकदम हो चला है। अनेक ई पत्रिकाएँ इस दिशा में बेहतरीन काम कर रही हैं। हम नयी पीढ़ी को इनसे जोड़कर आशावादी रसायन का ज़रूरी पाठ पढ़ा सकते हैं।
हम एक सामाजिक परिवेश में रहते हैं। यही कारण है कि हमारी, हमारे परिवेश के लिए कुछ जवाबदेही भी बनती है। नया साल हर जीवन को कर्म के प्रति जवाबदेह बनाएं, कुछ अधिक मानवीय बनाएं तो दुनिया वाकई खूबसूरत हो सकती है। ये सात्विक कर्म करते हुए उपज़ी सहानुभूति निर्मल हो तो व्यक्तित्व का कद बढ़ा देती हैं। नयी पीढ़ी के लिए राहें कठिन है। संस्कारों का वो उच्च जो हमने जिया है, कहीं खो गया है; जिससे जीवन मूल्यों में विचलन पैदा हो गया है। एक नीम उदासी, अवसाद, तनाव औऱ दबाव उस नाजुक मन पर तारी है। अगर हौंसलों की खुराक और अपनेपन का अहसास इस मन को दिया जाए तो एक बेहतर और ऊर्जस्वित् राष्ट्र का निर्माण हम कर सकते हैं।
रिश्ते ऊर्जा देते हैं, वे संजीवनी की भाँति उदासी का ताप हर लेते हैं। नए साल में उन रिश्तों को धूप दिखाने का प्रयास भी होना चाहिए जिन्हें अरसे से व्यस्तताओँ के मकड़जाल के चलते नज़रअंदाज़ कर दिया गया है। हर रिश्ता स्नेह की नमी माँगता है, विश्वास की खाद माँगता है और जीवन भर का साथ माँगता है। सिर्फ़ एक छोटी सी मुस्कुराहट किसी रीतते रिश्ते को नमी दे उसे हरा कर सकती है। कुछ वक्त अगर अपनों के साथ ही निकाल लिया जाय तो न जाने कितनी समस्याएँ अपनी और अपने अपनों की हल हो सकती हैं।
अक्सर यह देखा गया है कि तमाम जिम्मेदारियों को निभाते-निभाते हम अपनी ही अनदेखी कर जीवन का उल्लास खो बैठते हैं। नये साल पर एक वादा खुद से किया जाना चाहिए कि ऊर्जावान महसूस करने के लिए प्रसन्न रहना प्राथमिकता में शुमार होगा। मानना होगा कि पेशानी पर उभरती हुई जितनी भी रेखाएं हैं, आँखों के इर्द-गिर्द जितने घेरे हैं वे खूबसूरत हैं। वे उस संघर्ष की निशानी हैं, जिन्हें हमने अपने परिवार को, अपने अपनों को खुश रखने हेतु दी हैं। इसलिए खुद को कमतर समझने की भूल करना बेमानी है।
सुंदरता देह का नहीं मन के भावों का मापदण्ड हैं और हर व्यक्ति सुंदरता के इन मापदण्डों पर सौ फीसदी खरा उतरता है। सामाजिक खाप मान्यताओं को तिलांजलि देकर, अपने लिए और अपने आस-पास के लिए नया संसार रचने की कोशिश करनी होगी। इन प्रयासों से असमानता और विसंगतियों के दायरे खुद-ब-खुद सिमट जाएँगें। 2017 में प्रयास करना होगा कि मनुष्यता केवल किताबों तक ना सिमटी रहे। कोशिश करनी होगी कि हर मन को उसके हिस्से का आकाश मिल सके।कामना कि, नए साल का हर दिन आषाढ़ की सांझ हो जाए । स्नेह की रसबुंदियाँ हर मन पर बरसती रहे, उसे भिगोती रहे और खुशियों की सौंधी महक बिछलती रह। कई मुद्दे हैं, कई बातें हैं पर प्रार्थना यही कि हर ख्वाब को एक आमीन नसीब हो। हर दिन नया होता है, पर वो नया ही क्या जिसमें उल्लास का गुलाल ना हो। फैज़ ने शायद इसी लिए नए साल से उसके नए होने की ख्वाहिश कुछ इस तरह बयां की है-
‘तू नया है तो दिखा सुबह नई, शाम नई
वरना इन आँखों ने देखें हैं नये साल कई’
वरना इन आँखों ने देखें हैं नये साल कई’