वर्क एंड लाईफ

Hindi Poetry: कुछ पल

कुछ पल

Sep 04, 2021 / 10:28 pm

Deovrat Singh

कुछ पल
रेणुका अमित शर्मा
समय के कुछ पल फिसल दामन में आए ऐसे
छीनकर सुकूं रुक गए हों वो पल जैसे
उलझी उन पलों में ये जिन्दगी
छोर ढूंढ सुलझाऊं इसको कैसे
बूंद-बूंद रिसता, खत्म होता मेरा जीवन
इन फिसलते सपनों/ जिन्दगी को समेटूं कैसे
विश्वास रख अपने आप पर
बढ़ चली फिर लडऩे इन पलों के तूफानों से
थक नहीं सकती, मैं हार नहीं सकती
मुश्किल बड़ी और अपने को छोटी समझ लूं मैं कैसे?
यहां जुड़िए पत्रिका के ‘परिवार’ फेसबुक ग्रुप से। यहां न केवल आपकी समस्याओं का सामाधान मिलेगा बल्कि यहां फैमिली से जुड़ी कई गतिविधियां भी पूरे सप्ताह देखने-सुनने को मिलेंगी। यहां अपनी रचनाओं (कविता, कहानी, ब्लॉग आदि) भी शेयर कर सकेंगे। इनमें चयनित पाठनीय सामग्री को अखबार में प्रकाशित किया जाएगा। अपने सवाल भी पूछ सकेंगे। तो अभी जॉइन करें पत्रिका ‘परिवार’ का फेसबुक ग्रुप Join और Create Post में जाकर अपना लेख/रचनाएं/सुझाव भेज देवें।

Hindi News / Work & Life / Hindi Poetry: कुछ पल

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.