स्वस्थ रहने के लिए मानसिक स्वास्थ्य बहुत जरूरी है। इसके लिए आपको न केवल दिनचर्या अच्छी रखनी होगी बल्कि लाइफ स्टाइल में बदलाव भी करना होगा। ऐसे तनाव कम करें
कोई ऐसी गतिविधि न करें, जिससे मां का मानसिक तनाव बढ़े। तनाव बढऩे से शरीर में हार्मोन का असंतुलन होता है। इससे हार्मोन रोग व कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां भी होती हैं।
नींद का मानसिक स्वास्थ्य से सीधा संबंध है। हर महिला के लिए 7-8 घंटे की नींद बहुत जरूरी है। नींद की कमी से ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हार्मोन संबंधी बीमारियों की आशंका बढ़ती है। इससे मानसिक सेहत पर भी असर पड़ता है।
महिलाएं व्यायाम की अनदेखी ज्यादा करती हैं। व्यायाम से न केवल शारीरिक सेहत बल्कि मानसिक सेहत भी ठीक होती है। टिप्स: जिम के लिए समय नहीं है तो घर में ही वॉक करें। स्ट्रेचिंग व्यायाम, योग आदि कर सकते हैं। सीढिय़ां ऊपर-नीचे चल सकती हैं। घर के कार्यों में भी सहयोग करें। इनसे अच्छी स्ट्रेचिंग हो सकती है। ध्यान रखें कि वॉक करते समय पसीना आना चाहिए। साथ ही सांस भी थोड़ी तेज होनी चाहिए।
बिना उपकरण वाले व्यायाम
कार्डियो: जम्पिंग जैक्स, रस्सी कूदना, स्टार जम्प, सीढिय़ां चढऩा-उतरना, बर्पीज या स्क्वॉट, जॉगिंग आदि।
मजबूती वाले व्यायाम: कुर्सी पर ट्राइसेप्स डिप्स, प्लैंक या साइड प्लैंक, पुशअप, स्क्वॉट या चेयर पॉजिशन, वॉल सिट्स, सिटअप या क्रंचेज, हिप लिफ्ट या ब्रिज पॉजिशन आदि।
डॉक्टरी सलाह से वर्ष में एक बार जांचें जरूरी
रुटीन टेस्ट करवाने में महिलाएं पीछे रहती हैं। इसलिए कई बार उनमें बीमारियां अंतिम स्टेज में पता चलती हैं। वहीं, रुटीन जांचों से खून की कमी (एनीमिया), हड्डियों की कमजोरी (ऑस्टियोपोरेसिस), जननांगों में संक्रमण का भी पता चलता है। 40 वर्ष की उम्र के बाद आंखों, हड्डियों, यूट्रस, हार्ट से संबंधित चेकअप भी जरूरी हो जाते हैं।
30 वर्ष के बाद से ही कुछ जांचें जैसे मेमोग्राम, एचपीवी और पैपस्मीयर डॉक्टरी सलाह पर करवानी चाहिए।
40 वर्ष के बाद से हार्मोन संबंधी दिक्कत होती है। थायरॉइड, शुगर, कैल्शियम, बीपी आदि की जांचें करवा सकती हैं।
50वर्ष के बाद से जांचें हर छह माह में करवाएं। इसमें हृदय रोगों को भी अनिवार्य रूप से शामिल करें।
इस तरह रख सकते हैं मां का ध्यान
डाइनिंग टेबल पर मां को भी बिठाकर खिलाएं। बातें करें।
फैमिली कोई न कोई एक्टिविटी करे, ताकि मां खुश रहे।
मां की तबियत नासाज या किसी बीमारी के लक्षण दिखे तो तत्काल डॉक्टर को दिखाएं। इसमें लापरवाही न करें।
हो सके तो सुबह-शाम मां के साथ टहलें। आपके बीच अच्छी बॉन्डिग होगी। वह खुश और स्वस्थ रहेंगी।
हो सके तो मां के लिए खुद भी हैल्दी ब्रेकफास्ट या डिनर बनाएं। ऐसा सप्ताह में कम से कम एक बार जरूर बनाएं।
मां के लिए बनाएं डाइट चार्ट
मां बनने के बाद महिलाओं के शरीर में कैल्शियम, आयरन की कमी हो जाती है। इसी तरह जो महिलाएं मेनोपॉज या इसके बाद वाली स्थिति में होती हैं तो उनमें भी कैल्शियम और दूसरे पोषक तत्त्वों की कमी हो जाती है। इसलिए कोशिश करें कि मां की उम्र और स्थिति के अनुसार डाइट चार्ट बनवाएं।
40 के बाद विशेष ध्यान रखें
40 की उम्र के बाद हर महिला को डाइट में कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन डी, आयरन आदि से भरपूर चीजों को शामिल करना जरूरी है। दाल, अनाज, दूध, दही, सलाद, हरी सब्जियां, फल, जूस का सेवन करना बेहद जरूरी है।
मां की सेहत के 5 टिप्स
1. कम उम्र से ही खानपान और दिनचर्या बेहतर रखें।
2. आयरन रिच डाइट लें, ताकि खून की कमी न हो।
3. मेनोपॉज शुरू होने के पहले विटामिन डी और कैल्शियम रिच डाइट लें। रोज एक लीटर दूध पीएं।
4. रोटी-चावल कम, फल-सब्जियां भी ज्यादा मात्रा में खाएं। शरीर में पानी की कमी न होने दें।
5. डॉक्टरी सलाह से नियमित टीके लगवाएं। कुछ टीके ऐसे हैं जो महिला रोगों से बचाव करते हैं।
उम्र के हिसाब से परेशानी
मां की हर उम्र में परेशानी अलग होती है। इसलिए लक्षणों पर ध्यान दें और तत्काल संबंधित डॉक्टर को दिखाएं।