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स्क्रीनिंग टेस्टस्क्रीनिंग टेस्ट आमतौर पर प्रारंभिक प्रेग्नेंसी में यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि क्या बच्चे में सामान्य जन्म दोषों का खतरा है या नहीं। ये टेस्ट्स आमतौर पर पुष्टि नहीं करते हैं कि बच्चे में जन्म दोष है या नहीं, इसलिए कंफर्मेटरी टेस्ट किए जाते हैं। ये टेस्ट्स प्रेग्नेंसी में संभावित जन्म दोषों का पता लगाने में मदद करते हैं, इसलिए आपके बच्चे के इलाज के लिए आवश्यक उपाय किए जा सकते हैं।
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डायग्नोस्टिक टेस्ट्स
यदि आपके परिवार में जन्म दोषों का इतिहास रहा है या आपकी आयु 35 वर्ष या उससे अधिक है, तो आपका डॉक्टर आपको डायग्नोस्टिक टेस्ट करने के लिए कह सकता है। ये टेस्ट एक जीन या क्रोमोसोम्स में दोषों का पता लगाकर फीटस में कई जन्म दोषों का पता लगाने में मदद कर सकते हैं, मगर सभी जन्म दोष इससे पता नहीं चल पाते हैं।
डायग्नोस्टिक टेस्ट जितने सटीक होते हैं, उतने ही आक्रामक भी होते हैं और फीटस के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं।
डायग्नोस्टिक टेस्ट में सुई के माध्यम से आपके एमनियोटिक फ्लूइड का एक सैंपल लिया जाता है और यह निर्धारित किया जाता है कि क्या बच्चे को डाउन सिंड्रोम है या अन्य क्रोमोसोमल स्थितियां हैं। यदि डाउन सिंड्रोम का पता चलता है, तो आपको आगे के चरणों के लिए एक जेनेटिक काउंसलर के पास भेजा जाएगा।