What is brain fog? क्या है ब्रेन फॉग?
ब्रेन फॉग ऐसा समूह है, जिसमें याद रखने की शक्ति कम होने लगती है। खासतौर से याददाश्त की कमी, शब्द, नंबर, नाम, कोई घटना भूल जाना, किसी काम में मन न लगना, काम में फोकस न होने की समस्या होती है। इसी के साथ जुड़ा है मनोदशा यानी मूड। गिरती मनोदशा मेनोपॉज (Menopause) के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम होने के कारण होती है। यह जीवन की गुणवत्ता पर असर डालता है।
learning difficulties सीखने में परेशानी
इन्हीं समस्याओं पर रिसर्च में बताया गया है कि उन्हें कुछ सीखने में भी परेशानी होती है। मोबाइल, कम्प्यूटर आदि नहीं सीख पाते हैं। इसकी जागरूकता के लिए इंटरनेशनल मेनोपॉज (Menopause) सोसायटी ने एक गाइडलाइन जारी की है। इसमें बताया गया है कि यदि समय पर सही कदम नहीं उठाया जाए तो भविष्य में यह डिमेंशिया या अल्जाइमर्स का खतरा उत्पन्न कर सकती है।
ब्रेन फॉग ऐसा समूह है, जिसमें याद रखने की शक्ति कम होने लगती है। खासतौर से याददाश्त की कमी, शब्द, नंबर, नाम, कोई घटना भूल जाना, किसी काम में मन न लगना, काम में फोकस न होने की समस्या होती है। इसी के साथ जुड़ा है मनोदशा यानी मूड। गिरती मनोदशा मेनोपॉज (Menopause) के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम होने के कारण होती है। यह जीवन की गुणवत्ता पर असर डालता है।
यह भी पढ़ें
एक्सीडेंट में पहले 10 मिनट होते हैं बेहद खतरनाक, इस तरह बचाई जा सकती है जान
learning difficulties सीखने में परेशानी
इन्हीं समस्याओं पर रिसर्च में बताया गया है कि उन्हें कुछ सीखने में भी परेशानी होती है। मोबाइल, कम्प्यूटर आदि नहीं सीख पाते हैं। इसकी जागरूकता के लिए इंटरनेशनल मेनोपॉज (Menopause) सोसायटी ने एक गाइडलाइन जारी की है। इसमें बताया गया है कि यदि समय पर सही कदम नहीं उठाया जाए तो भविष्य में यह डिमेंशिया या अल्जाइमर्स का खतरा उत्पन्न कर सकती है।
These are risk factors ये हैं रिस्क फैक्टर शारीरिक निष्क्रियता व सोशल सर्किल कम होना, मद्यपान व धूम्रपान, मोटापा, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज व डिप्रेशन इसके जोखिम कारक हो सकते हैं। वायु प्रदूषण भी चिंताजनक व रिस्क फैक्टर है। जिन्हें साइकोलॉजिकल स्ट्रेस ज्यादा हो, उनमें भी मेनोपॉज (Menopause) ब्रेन फॉग का खतरा कई गुना तक बढ़ जाता है।
Preventive measures बचाव के उपाय
– बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआइ) 18.5 से 25 के बीच रखें।
– लाइफस्टाइल में बदलाव करें
– रोजाना 30 मिनट व्यायाम करें।
– सोशल एक्टिविटीज में भाग लें।
– अकेलापन न हो, इसके लिए परिजनों के बीच में रहें।
– ब्रेन बूस्टर एक्टिविटीज जैसे सुडोकू, पजल्स करें।
– हार्ट हैल्थ पर ध्यान दें। इससे ब्रेन भी हैल्दी होगा।
– रुचि के मुताबिक क्रिएटिव बनें।
– योग मेडिटेशन करें।
यह भी पढ़ें
Benefits of Almonds: रोज सुबह खाली पेट खाएं 5 भीगे बादाम, जानिए बादाम खाने का सही तरीका
Preventive measures बचाव के उपाय
– बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआइ) 18.5 से 25 के बीच रखें।
– लाइफस्टाइल में बदलाव करें
– रोजाना 30 मिनट व्यायाम करें।
– सोशल एक्टिविटीज में भाग लें।
– अकेलापन न हो, इसके लिए परिजनों के बीच में रहें।
– ब्रेन बूस्टर एक्टिविटीज जैसे सुडोकू, पजल्स करें।
– हार्ट हैल्थ पर ध्यान दें। इससे ब्रेन भी हैल्दी होगा।
– रुचि के मुताबिक क्रिएटिव बनें।
– योग मेडिटेशन करें।
These changes come आते हैं ये बदलाव
ब्रेन की इमेजिंग स्टडी से पता चला है कि जिन महिलाओं को गर्मी के बफारे और नींद की कठिनाइयां आती हैं, उनके ब्रेन में स्ट्रक्चरल और फंक्शनल बदलाव आ जाते हैं। प्रारंभिक स्थिति में इलाज से इसे रिवर्स किया जा सकता है।
मूल मंत्र
मेनोपॉज के दौर से गुजर रही महिलाएं क्षमा, समता भाव, सजग मन, शांत चित्त व सदैव मुस्कुराती रहें और दैनिक कार्यशैली चुस्त बनाए रखें।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।
ब्रेन की इमेजिंग स्टडी से पता चला है कि जिन महिलाओं को गर्मी के बफारे और नींद की कठिनाइयां आती हैं, उनके ब्रेन में स्ट्रक्चरल और फंक्शनल बदलाव आ जाते हैं। प्रारंभिक स्थिति में इलाज से इसे रिवर्स किया जा सकता है।
यह भी पढ़ें
Hair Care Tips: बालों के झड़ने या रूखेपन की समस्या से रहते हैं परेशान, तो करी पत्ता का ऐसे करें इस्तेमाल
मूल मंत्र
मेनोपॉज के दौर से गुजर रही महिलाएं क्षमा, समता भाव, सजग मन, शांत चित्त व सदैव मुस्कुराती रहें और दैनिक कार्यशैली चुस्त बनाए रखें।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।