अगर इस डिसऑर्डर पर उचित ध्यान न दिया जाए तो हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण हार्ट डिजीज, हाई ब्लड शुगर के कारण डायबिटीज , बहुत ज्यादा वजन बढ़ना आदि सभी मेटाबॉलिक सिंड्रोम का कारण बन सकते हैं और अगर इन्हें बिना ध्यान दिए ऐसे ही छोड़ दिया जाए तो इससे बेहद कम उम्र में एंडोमेट्रियल कैंसर हो सकता है।
डाइट और लाइफ स्टाइल जिनी महिलाओं को पीसीओएस की समस्या होती है उन्हें लो कैलोरी डाइट के साथ थोड़े व्यायाम को अपनी जीवनशैली में शामिल करने की सलाह दी जाती है। इस स्थिति से जूझ रहीं अधिकांश महिलाएं ओवरवेट और इंसुलिन रेजिस्टेंट होती हैं, इसलिए वजन में थोड़ी सी भी कमी सकारात्मक परिणाम दे सकती है।
डाइट और लाइफ स्टाइल जिनी महिलाओं को पीसीओएस की समस्या होती है उन्हें लो कैलोरी डाइट के साथ थोड़े व्यायाम को अपनी जीवनशैली में शामिल करने की सलाह दी जाती है। इस स्थिति से जूझ रहीं अधिकांश महिलाएं ओवरवेट और इंसुलिन रेजिस्टेंट होती हैं, इसलिए वजन में थोड़ी सी भी कमी सकारात्मक परिणाम दे सकती है।
वेट को मेंटेन करने के फ़ायदे इंसुलिन और एंड्रोजन के स्तर कम होता है।ओव्यूलेशन को रिस्टोर और मेंस्ट्रुअल साइकिल रेगुलराइज होता है।डॉक्टरों द्वारा दी गई दवाओं की प्रभावशीलता में वृद्धि होती है ।जो महिलाएं कंसीव करना चाहती हैं उन्हें बांझपन की समस्या में मदद मिलती है।
डाइट में शामिल करें ये फूड ब्रोकोली, फूलगोभी, पालक, हरी और लाल मिर्च और स्प्राउट्स जैसे हाई फाइबर और नॉन स्टार्च वाली सब्जियां। लीन प्रोटीन जैसे टोफू, चिकन और मच्छली, इनमें फाइबर तो नहीं होता है मगर यह एक हेल्दी डाइटरी ऑप्शन है।
एंटी-इंफ्लेमेटरी फूड और मसाले जैसे हल्दी, टमाटर, बींस और दालें। ताजे फल और बिना चीनी वाले जूस, वेजिटेबल स्मूदी। साबुत अनाज जैसे गेहूं की ब्रेड, ब्राउन राइस, ओट्स। रेगुलर एक्सरसाइज व्यायाम ब्लड शुगर के स्तर को कम करता है। दैनिक शारीरिक गतिविधियां और व्यायाम इंसुलिन रेजिस्टेंस को रोकती हैं और उसका इलाज करता है। साथ ही वजह को नियंत्रण में रखने और ओव्यूलेशन को सुधारने में भी मदद मिलती है।
माइंड को फ्रेश रखें
पीसीओएस और पीसीओडी से जूझ रही महिलाओं को कभी-कभी फस्ट्रेशन हो सकता है। मगर, बेहतर स्वास्थ्य और सकारात्मक सोच के लिए सक्रिय कदम उठाने से लक्षणों को कम करने और मैनेज करने में मदद मिल सकती है।