बचपन से ही महाभारत और रामायण के किस्से व कहानियों को हम टीवी के पर्दे पर देखते और अपने बड़ों से सुनते आ रहे हैं। आज 21वीं सदी में इन पौराणिक कथाओं के कई सबूत हमें मिलते हैं। हमारे मन में इनके प्रति कई जिज्ञासाएं भरी हुई हैं।
अब बात जब महाभारत की हो रही है तो श्रीकृष्ण का नाम न लिया जाए यह भला कैसे हो सकता है। जैसा कि हम जानते हैं कि बीते शनिवार यानि कि 14 जुलाई से देश में रथयात्रा का सिलसिला जारी है।
हम आपको भगवान जगन्नाथ और कृष्ण दोनों से संबंधित एक किस्से के बारे में बताएंगे। यह भगवान जगन्नाथ की मूर्ति और भगवान श्रीकृष्ण की मौत से जुड़ी हुई है।
भारत के उड़ीसा प्रांत में स्थित जगन्नाथ पुरी को हिन्दू धर्म के बेहद पवित्र स्थल और चार धामों में से एक माना जाता है। इसे भगवान विष्णु का स्थल भी माना जाता है। जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी कई सारी रहस्यमयी कहानियां प्रचलित है। इसमें से एक यह है जिसमें लोगों का यह कहना हैं कि मंदिर में मौजूद भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के भीतर स्वयं ब्रह्मा विराजमान हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार,ब्रह्मा कृष्ण के नश्वर शरीर में विराजमान थे। कृष्ण की मौत हो जाने के बाद पांडवों ने उनके शरीर का दाह-संस्कार कर दिया। उस दौरान कृष्ण का दिल जलता ही रहा। ऐसा होने पर ईश्वर पांडवों को आदेश दिया कि इसे जल में प्रवाहित कर दिया जाए। बाद में उस दिल ने लट्ठे का रूप ले लिया।
राजा इन्द्रद्युम्न को यह लट्ठा मिला। राजा इन्द्रद्युम्न भगवान जगन्नाथ के परम भक्त थे। उन्होंने इस दिल को जगन्नाथ की मूर्ति के भीतर स्थापित कर दिया। उस दिन से लेकर आज तक वह लट्ठा भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के भीतर स्थित है। जैसा कि आप जानते हैं कि हर 12 वर्ष के अंतराल के बाद जगन्नाथ की मूर्ति बदल दी जाती है लेकिन यह लट्ठा उसी में रहता है।
हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि इस लट्ठे को आज तक किसी ने नहीं देखा। मंदिर के जिस पुजारी द्वारा इस मूर्ति को बदला जाता है। उनका इस बारे में कहना है कि, उनकी आंखों पर पट्टी बांध दी जाती है और हाथ को कपड़े से ढक दिया जाता है। इसीलिए उन्होंने ना ही कभी उस लट्ठे को देखा और ना ही कभी उसे छूकर महसूस किया।
यहां पुजारियों का ऐसा भी मानना है कि अगर किसी व्यक्ति ने मूर्ति के अंदर स्थापित ब्रह्मा को देख लिया तो उसकी मृत्यु हो जाएगी। इसी वजह से जिस दिन जगन्नाथ की मूर्ति बदली जानी होती है, उड़ीसा सरकार द्वारा पूरे शहर की बिजली बाधित कर दी जाती है। अब वाकई में सच्चाई क्या है यह आज भी एक रहस्य है। एक ऐसी रहस्य जो सदियों से आज तक बना हुआ है।