शिव पुराण में इससे संबंधित एक बेहद रोचक कहानी है जिसके अनुसार एक बार शिव जी ब्रह्मांड की सैर को निकले। घूमते-घूमते वे एक जंगल में आ पहुंचे।इस जंगह में कई ऋषि-मुनी अपने परिवार समेत रहते थे।
महादेव इस जंगल से निर्वस्त्र होकर गुजर रहे थे। उन्हें इस बात का बिल्कुल भी ख्याल नहीं था कि उन्होंने शरीर पर कुछ भी धारण नहीं कर रखा है। इधर बलशाली शिव जी को देख ऋषि-मुनियों की पत्नियां उनकी ओर आकर्षित होने लगी। मन ही मन उनकी प्रशंसा करने लगी।
ऋषियों को जब इस बात की भनक लगी कि किसी अज्ञात पुरूष के प्रति उनकी पत्नियां आकर्षित हो रही हैं तो वे बहुत क्रोधित हुए। ऋषियों को यह नहीं पता था कि जिन्हें वे साधारण मनुष्य समझ रहे हैं वे वास्तव में भगवान शिव हैं।
इस अनजान व्यक्ति को सबक सिखाने के लिए ऋषियों ने मार्ग में एक बड़ा सा गड्ढा बना दिया ताकि यहां से गुजरने के दौरान वे इसमें गिर जाए। हुआ भी बिल्कुल वैसा। शिव जी उस गड्ढे में गिर गए।
शिव जी को गड्ढे में गिराकर ऋषियों ने उन्हें सजा दिलाने के लिए गड्ढे में एक बाघ को भी गिरा दिया, ताकि वह शिवजी को मारकर खा जाए, लेकिन हुआ इसके विपरीत।
शिवजी ने स्वयं उस बाघ को मारकर उसकी खाल को धारण कर गड्ढे से बाहर आ गए। इस घटना से ऋषि-मुनियों को ऐसा लगने लगा कि यह कोई सामान्य इंसान हो ही नहीं सकता।
शिव पुराण में वर्णित इस कहानी के अनुसार तब से शिव जी शरीर पर बाघ की खाल को धारण किए हुए हैं।