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क्या आप जानते हैं कि कैसे हुई थी लक्ष्मण जी की मौत, श्रीराम के एक वचन से जुड़ा है इसका कारण

भगवान राम और लक्ष्मण दोनों ही हमारे देश और दुनिया के लिए पूज्यनीय हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि लक्ष्मण की मृत्यु कैसे हुई थी।

Mar 27, 2019 / 04:52 pm

Pragati Bajpai

क्या आप जानते हैं कि कैसे हुई थी लक्ष्मण जी की मौत, श्रीराम के एक वचन से जुड़ा है इसका कारण

नई दिल्ली: भगवान राम Lord Rama के बार में तो आप सब कुछ जानते होंगे लेकिन क्या आप ये बात जानते हैं कि लक्ष्मण Lord Lakshman की मृत्यु कैसे हुई यह बात ज्यादातर लोगों नहीं जानते हैं लेकिन आज हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं।
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आपको बता दें कि लक्ष्मण को आदर्श भाई माना जाता था साथ ही वो अपनी प्रजा की भलाई के बारे में भी सोंचते थे। आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि लक्ष्मण ने प्रजा की भलाई के लिए ही अपने प्राण त्यागे थे और अपने कर्तव्यों का निर्वाहन किया था।
आपको बता दें कि जब भगवान श्री राम अयोध्या के राजा बने तब एक दिन “काल” तपस्वी का रूप धारण कर अयोध्या आया। आपको बता दें कि “काल” ने श्री राम से एकांत में बात करने की इच्छा जताई और कहा कि कोई हम दोनों को देख लेगा तो मारा जाएगा। भगवान राम ने काल को वादा किया कि कोई भी अंदर नहीं आएगा। इसके बाद उन्होंने लक्ष्मण को दरवाज़े पर पहरा देने के लिए कहा।
भगवान राम काल से बात कर ही रहे थे कि तभी वहां दुर्वासा मुनि आ गए वो श्री राम से मिलना चाहते थे लेकिन लक्ष्मण ने उन्हें कहा कि आपको जो भी काम है आप मुझसे कह दें,मै वो काम पूरा करने का प्रयास करूंगा इतना सुनते ही दुर्वासा मुनि क्रोध में आ गए और उन्होने कहा कि तुमने मेरे बारे में जाकर राम को नही बताया तो मैं तुम्हारे पूरे राज्य को श्राप दे दूंगा।
धर्म संकट में फंसे लक्ष्मण ने अपने प्राणों की परवाह ना करते हुए पूरी प्रजा के बारे में सोचा और अंदर जाने का फैसला किया और श्री राम कक्ष में चले गए। इसके बाद श्री राम ने मुनि दुर्वासा का आदर सत्कार और बाद में उन्हें काल को दिया अपना वचन याद आया तब वो दुविधा में पड़ गए।
ऐसे में भगवान राम ने अपने गुरु वशिष्ठ का स्मरण किया और कोई रास्ता दिखाने को कहा। तब उनके गुरु ने कहा कि तुम लक्ष्मण का त्याग कर दो क्योंकि किसी का त्याग उसके वध के सामान होता है ऐसे में त्याग करना ही बेहतर होगा। जब ये बात लक्ष्मण को पता चली तब उन्होंने भगवान राम से कहा कि आप मेरा त्याग करने से अच्छा मेरा वध कर दो लेकिन श्री राम ने फिर भी उनकी त्याग कर दिया।
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श्री राम के त्यागे जाने से लक्ष्मण दुखी हो गए और सरयू नदी में जाकर जल समाधि ले ली। जब ये बात श्री राम को पता चली तब उन्होंने भी सरयू नदी में जाकर जल समाधि ले ली और बैकुंठ चले गए।

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