कुछ ज्ञानी पुरूषों का कहना है कि आत्मा सहस्रार चक्र में रहती है। यह इंसान के दिमाग का एक हिस्सा है। पंडित जिस स्थान पर चोटी रखते है ठीक उसी जगह पर यह स्थित होता है। शास्त्रों में भी ऐसा ही बताया गया है कि आत्मा का निवास मस्तिष्क में ही है।
नए अध्ययनों में ऐसा कहा गया कि तंत्रिका प्रणाली से जब क्वांटम पदार्थ कम होने लगता है तब मौत का अनुभव होता है।
एरिजोना विश्वविद्यालय के एनेस्थिसियोलॉजी और मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर एमरेटस और उनके साथ उसी यूनिवर्सिटी में रिसर्च विभाग के निदेशक डॉ.स्टुवर्ट हेमेराफ ने आत्मा के बारे में कई बातें बताई।
इन दोनों का कहना था कि मस्तिष्क की कोशिकाओं के अंदर बने ढांचों में आत्मा का मूल स्थान होता है, जिसे ‘माइथाट्यूबस’ कहा जाता है।
जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि योग की भाषा में इस केंद्र को सहस्रार चक्र या ब्रह्मरंध्र के नाम से जाना जाता है। इंसान की मौत हो जाने के बाद आत्मा शरीर के उस भाग से निकलकर बाहरी जगत में फैल जाती है।शास्त्रों में भी कुछ ऐसा ही कहा गया है कि मौत के बाद देह से निकलकर यह आत्मा दूसरे लोकों की यात्रा पर निकल जाती है।