सूरत के डुमास बीच पर हर दिन यात्रियों और पर्यटकों की भीड़ उमड़ती है, लेकिन जैसे-जैसे अंधेरा होने लगता है लोग वहां से वापस आने लगते हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जिन लोगों ने रात भर समुद्र के तट पर रहने की कोशिश की, वह या तो वापस नहीं आए या फिर उन्होंने अपना सबसे बुरा अनुभव शेयर किया। अरब सागर के किनारे स्थित डुमास बीच गुजरात के सबसे भूतिया स्थानों में से एक माना जाता है।
श्मशान के कारण काली हुई रेत!
सूरत का डुमास बीच 2 चीजों के लिए प्रसिद्ध है, पहली काली रेत और दूसरी भूतिया होने के लिए। कहानियों के माध्यम से ऐसा कहा जाता है कि डुमास बीच कभी एक श्मशान हुआ करता था, जिसके कारण इसकी रेत काली हो गई। इसके साथ ही आज भी यह दावा किया जाता है कि समुद्र के तट पर कई आत्माएं अभी भी रहती हैं।
सच्चाई या मात्र कल्पना?
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि काली रेत के कारण समुद्र तट एक भयानक अनुभव देता है। डुमास बीच का परिवेश सुंदर है, लेकिन काली रेत सूरज धलने के बाद भयावह रूप से निराशाजनक हो जाती है। लोगों के द्वारा दावा किया जाता है कि उन्होंने समुद्र तट पर अजीब आवाजें सुनीं हैं, जैसे किसी के रोने की, हंसने की अवाज। वहीं स्थानीय लोग भी रात में तट पर कई रहस्यमय गतिविधियां होने का दावा करते हैं। हालांकि गैर-लाभकारी पर्यावरण सुरक्षा समिति के रोहित प्रजापति का कहना है कि यह समुद्र तट उद्योगों से होने वाले नुकसान का सामना कर रहा है।
हजीरा के भारी औद्योगिक क्षेत्र के पास है डुमास समुद्र तट
डुमास एक शहरी समुद्र तट है, जो हजीरा के भारी औद्योगिक क्षेत्र के पास है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि उद्योगों से निकलने वाला कचरा समुद्र तट को खराब कर रहा है, जिसके गंभीर परिणाम हो रहे हैं, लेकिन नुकसान का अध्ययन करने के लिए कोई व्यापक अध्ययन नहीं किया गया है।
मछुआरों की आजीविका को खतरे में डाला
एक स्थानीय आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली और अब मछुआरों के कल्याण के लिए काम करने वाली कार्यकर्ता रोशनी पटेल ने एक निजी चैनल से बात करते हुए बताया कि अक्टूबर 2020 में डुमास में कई मरी हुई मछलियां राख हो गई। उन्होंने कहा कि अनियंत्रित औद्योगीकरण ने मछुआरों की आजीविका को खतरे में डाल दिया है और पानी की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।