बचपन में की गई यह सब बातें उसे बहुत परेशान कर गईं। तभी से हेग को मौत का डर सताने लगा। कहते हैं उसका पिता अंधविश्वासी था। उसने अपने परिवार को बुरी नज़र से बचाने के लिए अपने घर को चारदीवारी से घेर रखा था। इसी मकान में हेग ने पहली बार खून चखा था। बचपन में जब वह कोई गलती करता था तब उसकी मां उसे तीखे ब्रश से मारकर दण्ड देती थी। कई बार उसे इतनी मार पड़ती कि उसके हाथों में खून निकलने लगता। तब वह अपना ही खून चूसने लगता। खून चूसते समय उसे बड़ा मज़ा आता था। उसे अब खून पीने की आदत हो गई थी। जब कभी उसे खून नहीं मिलता था तब वह खुद अपना हाथ काटकर खून पी लिया करता था।
1926 में जब वह 18 साल का था तब उसने स्कूल छोड़ दिया। स्कूल छोड़ने के बाद वह छोटे-मोटे अपराध करने लगा। उसे कई बार जेल की सजा हुई। इसके बाद 1943 में वह एक कार दुर्घटना से घायल हो गया। इस दुर्घटना से हिल चुके हेग को अब भयानक सपने आने लगे। उसे सपने में एक ऐसा पेड़ दिखता था जिसमें से खून रिस रहा होता था। इस सपने को सच करने के लिए हेग ने एक दिन 35 वर्षीय विलियम मैक्सवान को अपना शिकार बनाया। उसने उसे मारकर उसका खून पिया और बाद में उसे तेजाब में डालकर गला दिया।
उसने अपने किए सारे गुनाह पुलिस के सामने कबूल करते हुए कहा कि विलियम को मारने के 10 महीने बाद उसे फिर से खून की प्यास लगी। उसने विलियम मैक्सवान के माता-पिता, डोनाल्ड तथा एमी को गोली मार कर उनके खून से अपनी प्यास बुझाई। उसने उनकी लाशों के साथ भी वहीं किया जो उसने विलियम की लाश के साथ किया था। इसी तरह पांच बार हत्या कर खून पीने के बाद अब ओलीविया नाम की औरत उसका अंतिम शिकार थी। इलाके में हो रही इतनी हत्याओं ने पुलिस को उसपर शक करने पर मजबूर कर दिया। हेग को गिरफ्तार कर लिया गया। उसने अपने बचाव में यह साबित करने की कोशिश की कि ऐसा वह पागलपन की अवस्था में करता था, लेकिन अदालत ने उसके इस दावे को स्वीकार न करते हुए 6 अगस्त, 1949 को उसे फांसी दे दी।