सूरज की पहली किरण के साथ दर्शन देने आते है प्रभु श्रीराम, लोग देते हैं बंदूक की सलामी बाजीराव (Bajirao Peshwa) की ओर से बनाया गया यह महल महाराष्ट्र के पुणे में मौजूद है। इस महल की नींव शनिवार के दिन 10 जनवरी 1730 में बाजीराव प्रथम ने रखी थी। इसी के चलते इसे शनिवार वाड़ा के नाम से भी जाना जाता है। शनिवार वाड़ा को बनाने में 16 हजार रुपए की लागत आई थी।
बताया जाता है 1828 ई. में शनिवार वाड़ा में एक दिन अचानक आग लग गई थी। इससे महल का एक बड़ा हिस्सा जलकर खाक हो गया था। तब से इस जगह को शपित माना जाता है।लोगों का कहना है कि यहां आज भी आत्माएं भटकती रहती हैं। महल से एक दर्द भरी आवाज आती हैं। स्थानीय निवासियों के मुताबिक महल में राजकुमार नारायण राव की भी आत्मा भटकती है क्योंकि सत्ता के लालच में पेशवाओं के राजकुमार (rajkumar) की हत्या (murder) उनकी ही चाची आनंदीबाई ने करवाई थी। वह उनके राजकुमार बनने से खुश नहीं थी।