अजब गजब

साल में 8 महीने तक गंगाजल में डूबा रहता है ये मंदिर, हैरान कर देगा इसके पीछे का रहस्य

Ratneshwar Mahadev Temple : भारत में हिंदू देवी-देवताओं के कई मंदिर मौजूद हैं। जिनमें से कई मंदिरों के रहस्य को आज तक वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए। वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर ऐसा ही एक मंदिर है, जो साल में 8 महीने तक पानी में डूबा रहता है।

Jul 12, 2023 / 10:31 am

Jyoti Singh

Hindu Temple : भारत के हर कोने में हिंदू धर्म की आस्था से जुड़ा कोई न कोई मंदिर उपस्थित है। इतिहास में कई राजाओं ने मंदिरों का निर्माण कराया है। जिसने भी मंदिर बनवाया उसमें कोई न कोई खासियत छोड़ी है। जिसके पीछे का रहस्य आज तक कोई वैज्ञानिक भी नहीं समझ पाया। आज हम बात करेंगे हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में शामिल काशी नगरी की। यूं तो वाराणसी में प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ के अलावा हिंदू देवी-देवताओं के कई मंदिर मौजूद हैं। लेकिन यहां एक ऐसा अनोखा मंदिर भी मौजूद हैं जो बहुत ही अद्भुत हैं। यह मंदिर मणिकर्णिका घाट पर उपस्थित है।

 

8 महीने गंगा में डूबा रहता है मंदिर

हम बात कर रहे हैं रत्नेश्वर महादेव मंदिर की जो अपने अनोखे रहस्य और कई खास वजहों के चलते श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र है। रत्नेश्वर महादेव मंदिर की अनोखी बात ये है कि यह मंदिर मणिकर्णिका घाट (Manikarnika Ghat) पर नीचे में बना हुआ है जिस कारण से यह साल में 8 महीने तक गंगाजल में डूबा रहता है। मंदिर का निर्माण अद्भुत शिल्प कला के आधार पर किया गया है।

सालों से 9 डिग्री के एंगल पर है झुका

आपको जानकर हैरानी होगी कि रत्नेश्वर महादेव मंदिर सालों से 9 डिग्री के एंगल पर झुका हुआ है। दूसरी बात ये है कि पहले मंदिर के छज्जे की ऊचांई 7-8 फीट थी जो अब केवल 6 फीट रह गई है। वहीं मंदिर के 9 डिग्री पर झुके होने को लेकर वैज्ञानिक भी अब तक कुछ पता नहीं लगा पाए हैं।


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डूबने के बाद भी नहीं होता कोई नुकसान

गंगा में जल स्तर बढ़ने की वजह से साल में करीब 8 महीने तक जल में डूबा रहता है। कई बार जल का स्तर अधिक बढ़ने पर मंदिर का शिखर तक पानी में डूब जाता है। ऐसे में मंदिर में सिर्फ 3-4 महीने ही पूजा होती है। हालांकि महीनों तक पानी में डूबे रहने के बाद भी मंदिर को कोई नुकसान नहीं होता है। मंदिर के पानी में डूबे रहने के पीछे कई पौराणिक कथा भी है।

इसलिए संत ने मंदिर को दिया था श्राप

मान्यता है कि एक संत ने बनारस के राजा से मंदिर की देखरेख के लिए जिम्मेदारी मांगी थी। राजा के मना करने पर संत ने श्राप दिया था कि इस मंदिर में पूजा के लायक नहीं होगा। इस वजह से भी मंदिर 8 महीनों तक पानी में डूबा रहता है जिस कारण इसमें पूजा नहीं होती है। मंदिर का निर्माण भारतीय पुरातत्व विभाग के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में हुआ था। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण सन 1857 में अमेठी के राज परिवार ने करवाया था।

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