पुराणों के अनुसार, इस मंदिर को धरती के भौतिक आयाम का केंद्र कहा गया है। यानी जिस भौतिक सृष्टि को पुराणों में माया कहा गया है इसी जगह पर सुका केंद्र है। कहते हैं जब भी किसी जीवात्मा की मृत्यु होती है तो वह माया से बाहर आ जाती है। जिसके बाद उसे एक केंद्र से दूसरे आयाम में जाना पड़ता है। इसी केंद्र पर मृत्यु के देवता यमराज हर जीवात्मा को उसके कर्मों का फल देते हैं। पुराणों की मानें तो हमारे भौतिक आयाम में यमदूत भी रहते हैं। यमदूत ही आत्मा को यमराज के पास लेकर जाते हैं।
बता दें कि इस मंदिर में एक कमरा खाली रखा गया है जिसे यमराज कक्ष कहा गया है। मंदिर में चार दरवाज़े हैं जो की सोने, चांदी, लोहे और तांबे के बने हुए हैं। कहते हैं हर आत्मा अपने कर्मों के हिसाब से इन द्वारों से भेजी जाती हैं। एक महान आत्मा को ही सोने के द्वार से जाने की अनुमति मिलती है। इस मंदिर में अधिकतम भक्त बहार से ही माथा टेककर चले जाते हैं। कहते हैं इस मंदिर में एक अजीब सी ठंढक का एहसास होता है। यहां पूजा करने वाले लोगों के मन से अकाल मृत्यु का भय चला जाता है।