इस मंदिर का नाम मूनियाननदी स्वामी मंदिर है जहां साल में एक बार तीन दिनों के लिए एक वार्षिक महोत्सव का पालन किया जाता है जहां भक्तों को प्रसाद के रूप में गरमा-गरम मटन बिरयानी परोसा जाता है।
यह एक प्रथा है जिसका पालन पिछले 83 सालों से किया जा रहा है। इस साल भी 25 जनवरी में इस महोत्सव का पालन किया जाएगा जहां भक्त गण प्लेट भरकर गरमा-गरम बिरयानी का लुफ्त उठाएंगे।
जनवरी 24 से 26 तक चलने वाली इस तीन दिवसीय वार्षिक महोत्सव में लगभग 2 हजार किलो बिरयानी तैयार की जाएगी। न केवल भक्तों को बल्कि यहां से गुजरने वाले हर एक व्यक्ति को बिरयानी खाने को दिया जाता है।
स्वादिष्ट बिरयानी को बनाने के लिए इस दौरान 500 बकरों की बलि दी जाती है। सैकड़ों रसोइये मिलकर इसे बनाते हैं। तीन दिन तक हर रोज पचास नांव भर भरकर लकड़ियां मंगाई जाती हैं। इसे तैयार करने के खातिर मंदिर परिसर में बड़ी-बड़ी हांडिया, मसाले, चावल की बोरियां, आलू के बड़े-बड़े टूकड़े इत्यादि बिखरे पड़े रहते हैं।
इस दौरान पूरे गांव में बिरयानी की महक सबका ध्यान अपनी ओर खींच लेती है। रात भर लोग मिलकर इसे बनाते हैं और भोर होते ही इसे बांटने का काम शुरू हो जाता है। सुबह 5 बजे से प्रसाद वितरण के चलते लोग आने लगते हैं। न केवल गांव के लोग बल्कि दूर-दूर से भी लोग यहां बिरयानी खाने और इस दौरान गांव में लगने वाले मेले को देखने आते हैं।
गांव के अलावा मदुरै में भी कैम्प लगाकर इस बिरयानी को लोगों में बांटा जाता है। मूनियाननदी स्वामी को संतुष्ट करने के चलते इस भव्य महोत्सव का आयोजन किया जाता है।