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जंगल में गए शिकारियों ने उसे अगवाह करने की सोची ताकि वे उसे मनुष्यों के बीच ले जा सकें। शिकारियों ने उसका पीछा किया। वह जंगली बच्चा एक भेड़िये के साथ किसी गुफा में जाकर छिप गया। शिकारियों ने भेड़िये को मारकर बच्चे को अगवा कर लिया। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उस बच्चे को आगरा के एक अनाथालय में रखा गया। उसे शुद्ध किया गया और उसका नाम दीना सनीचर ( Dina Sanichar ) रखा गया। दीना को उस नई ज़िंदगी को अपनाने में बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
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दीना बहुत कम खाने पर ज़िंदा था। उसके दांत कच्चा मांस खा-खाकर नुकीले हो गए थे। उसे कपड़े पहनना बिलकुल पसंद नहीं था। इंसानों के बीच बीती पूरी ज़िंदगी में दीना कभी बोलना नहीं सीख पाया। वह काफी कोशिशों के बाद कुछ ही शब्द बोल पाता था। अनाथालय के लोग भी दीना के साथ अच्छा व्यवहार करते थे। लोगों की मदद से दीना कुछ इंसानी सभ्यता सीखने लगा।
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अब वह अपने पैरों पर चलने लगा था। दीना को अब पकाया हुआ खाना पसंद आने लगा था। उसने कपड़े पहनना भी सीखा, लेकिन इसके बावजूद उसका इंसानों से रिश्ता नहीं बन पाया। दीना ने इंसानों की केवल एक आदत को अपनाया और वो थी धूम्रपान करना। दीना बहुत धूम्रपान करने लगा और 34 की उम्र में टीबी (क्षय रोग) Tuberculosis से ग्रसित होने से उसकी मौत हो गई। दीना की कहानी एक लेखक को पसंद आई और फिर मोगली के पात्र ने बड़े पर्दे पर जन्म लिया।