अजब गजब

इस कुंड में डुबकी लगाने के लिए दूर-दूर से जुटती है लोगों की भीड़, महत्व जानकर आप भी करेंगे नमन

उन्हें इस बात की भी चिन्ता सता रही थी कि अपने परिजनों की हत्या के पाप से वे कैसे बचें।

Feb 19, 2019 / 02:57 pm

Arijita Sen

इस कुंड में डुबकी लगाने के लिए दूर-दूर से जुटती है लोगों की भीड़, महत्व जानकर आप भी करेंगे नमन

नई दिल्ली। राजस्थान के उदयपुरवाटी कस्बे से करीब दस किलोमीटर की दूरी पर लोहार्गल नामक स्थान है। जैसा कि इसके नाम से ही पता चल रहा है कि इसका अर्थ है लोहे का गलना। इस जगह का संबंध महाभारत काल से है। युद्ध की समाप्ति के बाद पांडव खुश तो थे, लेकिन उन्हें इस बात की भी चिन्ता सता रही थी कि अपने परिजनों की हत्या के पाप से वे कैसे बचें। ऐसे में श्री कृष्ण ने उन्हें सुझाव दिया कि जिस तीर्थ स्थल के तालाब के पानी में तुम्हारे हथियार गल जायेंगे वहीं तुम्हारा मनोरथ पूर्ण होगा।

 

इसी बात पर घूमते-घूमते पाण्डव लोहार्गल आ पहुंचे। यहां सूर्यकुण्ड में जैसे ही वे स्नान करने को उतरे तो उनके सारे हथियार गल गए। लोहार्गल की महत्ता को पांडवों में समझा और इसे तीर्थ राज की उपाधि दी। आज भी राजस्थान में स्थित पुष्कर के बाद लोहार्गल को दूसरा सबसे बड़ा तीर्थ स्थल माना जाता है।

लोहार्गल का सूर्य मंदिर काफी प्राचीन और मशहूर है। कहा जाता है कि हजारों साल पहले सूर्यभान नामक एक राजा काशी में रहा करते थे। वृद्धावस्था में राजा के घर एक अपंग लड़की पैदा हुई। राजा ने ऐसा होने के पीछे की वजह को जानना चाहा। उन्होंने भूत-भविष्य के ज्ञाताओं से अपने पिछले जन्म के बारे में पूछा।

 

Lohargal surya mandir in Rajasthan

ज्योतिषियों ने विचार कर कहा कि अपने पिछले जन्म में यह लड़की एक बंदरिया थी जिसकी जान किसी शिकारी के हाथों चली गई। शिकारी ने उसे एक बरगद के पेड़ पर लटका दिया और वहां से चल दिया। बंदरिया का मांस अभक्ष्य होता है और इस वजह से उसका शरीर हवा और धूप में सूख कर लोहार्गल के जलकुंड में गिर गया, लेकिन उसका एक हाथ पेड़ पर ही रह गया।

 

Lohargal snan kund in Rajasthan

पवित्र जल में गिरने से उसे एक कन्या का शरीर प्राप्त हुआ और वह राजा के घर पैदा हुई। विद्वानों ने अनुरोध किया कि उस हाथ को भी कुंड के पानी में फेंक दें ताकि कन्या सम्पूर्ण रूप से ठीक हो जाए क्योंकि लोहार्गल सूर्यदेव का स्थान है।

राजा ने लोहार्गल जाकर वैसा ही किया और उनकी पुत्री बिल्कुल स्वस्थ हो गई। इस चमत्कार से प्रसन्न होकर राजा ने यहां पर सूर्य मंदिर व सूर्यकुंड का निर्माण करवाया।

लोहार्गल आकर सूर्यदेव की उपासना करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती है। पहाड़ियों से घिरे इस कुंड में स्नान करने दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं। इससे त्वचा संबंधी कई रोगों से मुक्ति मिलती है।

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