लगभग 100 एकड़ जमीन पर करीबन 15,000 किलो शुद्ध सोने से इस मंदिर को बनाया गया है जिसमें 7 साल का समय लगा है। संसार में किसी भी मंदिर का बनाने में इतना अधिक सोना नहीं लगा जितना की इस मंदिर को बनाने में लगा। इसे बनाने में 300 करोड़ का खर्च आया है।
दिन ढ़लते ही जब मंदिर में लाइट जलती है तो सोने की चमक और भी बढ़ जाती है। मंदिर परिसर में 27 फीट ऊंची एक दीपमाला भी है। इसे शाम के समय जला दिया जाता है। यहां का नजारा बेहद ही अद्भूत होता है।
जगमगाते हुए इस मंदिर में लोग दक्षिण दिशा से प्रवेश करते हैं और क्लाक वाईज घुमते हुए पूर्व दिशा की ओर जाते हैं।
अंदर भगवान श्री लक्ष्मी नारायण के दर्शन के बाद फिर पूर्व में आकर दक्षिण से ही बाहर की ओर प्रस्थान करते हैं।
मंदिर परिसर में उत्तर दिशा की ओर में एक छोटा सा सरोवर भी है।
सात साल की कड़ी मेहनत और लगन के बाद 24 अगस्त 2007 को यह मंदिर दर्शन के लिए खोला दिया गया था।
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