इस लंका मीनार का निर्माण इसी कलयुग में हुआ, जिसे लेकर लोगों के दिमाग में तरह-तरह के सवाल रहते हैं। लोगों के मन में सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर कोई रावण के लिए मीनार का निर्माण क्यों करवाएगा। जबकि महापंडित होने के बावजूद रावण ने सीता माता का अपहरण किया था। इस मीनार से जुड़ी दो बेहद ही खास बातें हैं। पहली खास बात ये है कि इस मीनार का निर्माण कराने वाले मथुरा प्रसाद रामलीला में कई सालों तक रावण का रोल करते रहे थे। जिसकी वजह से उन्हें, उनके असली नाम से कम और रावण के नाम से ज़्यादा पहचान मिली। मथुरा प्रसाद ने साल 1857 में बनवाया था, जिसे बनाने में बीस साल का लंबा समय लगा।
मीनार में एक शिव मंदिर भी बना है, जिसके पीछे की मुख्य वजह यही थी कि रावण भगवान शिव के भक्त थे। इस मीनार की चढ़ाई करने में कुल सात परिक्रमा लगानी पड़ती है। यही वजह है कि यहां किसी भाई-बहन को नहीं आने की सलाह दी जाती है। लोगों का मानना है कि यहां किसी लड़की के साथ आने वाले लड़के के सात-फेरे हो गए हैं। हिंदू रीति-रिवाज़ों के अनुसार किसी लड़की के साथ सात-फेरे लेने वाले लड़का उसका पति माना जाता है।