अजब गजब

कई लोगों की ज़िंदगियां बर्बाद कर चुका है ‘काजू,’ आपके किचन तक पहुंचने में तय करता है ये कठिन सफर

काजू को दुकान तक पहुंचाने में चार प्रोसेस में से होकर गुजरना पड़ता है
इस काम को करने में धैर्य के साथ-साथ कड़ी मेहनत करने की भी जरूरत पड़ती है
गरीब मजदूरों को इस काम को करने के लिए नहीं मिलता उतना पैसा

Apr 06, 2019 / 02:55 pm

Arijita Sen

कई लोगों की ज़िंदगियां बर्बाद कर चुका है ‘काजू,’ आपके किचन तक पहुंचने में तय करता है ये कठिन सफर

नई दिल्ली। शायद ही कोई ऐसा हो जिसे काजू पसंद नहीं हो। भूना हुआ काजू, काजू बर्फी , खीर या हलवे में भी इसे डालकर लोग खूब खाते हैं। हालांकि बाजार से जो काजू आप खरीद कर लाते हैं वह वास्तव में ऐसा नहीं होता है। जिस तरह मूंगफली के बाहर एक सख्त आवरण होता है उसी तरह काजू के बाहर भी एक ऐसा खोल होता है जो कि बहुत सख्त होता है।

 

दरअसल, काजू कठोर खोल की दो परतों में बंद होता है। इनके बीच ऐनाकार्डिक नाम का एक नेचुरल एसिड होता है। इसका रंग पीला होता है और जब इसे तोड़ा जाता है तो यह हाथों को जला देता है। हथेली पर इस एसिड के गिरते ही तेज जलन होने लगती है। हाथों में छाले पड़ जाते हैं।

 

Cashew

पौधे से काजू को तोड़ने के बाद उसे कुछ देर के लिए भाप में रखा जाता है। इसके बाद पूरे 24 घंटे छांव में सुखाया जाता है और इसके बाद जाकर इसे छीला जाता है। अंत में आकार के हिसाब से इन्हें छांटकर अलग किया जाता है। फिर इन्हें पैक कर दुकानों को सप्लाई किया जाता है।

 

Cashew

इस काम को करने वाले मजदूर बहुत गरीब होते हैं। हमें बाजार में काजू 1200 से 2000 रुपये प्रति किलो के दर से मिलता है जबकि इन मजदूरों को इस काम के लिए बहुत ही कम पैसा मिलता है।

Cashew

एक अखबार में इंटरव्यू देने के दौरान पुष्पा नामक महिला जो कि इस काम से काफी लंबे समय से जुड़ी हुई हैं वह कहती हैं कि उनके हाथों पर जलने जैसे निशान हो चुके हैं। पेट पालने के लिए वह दूसरे घरों में भी काम भी करती हैं। हाथ से खाना खाने पर उनके हाथ में बेहद दर्द होता है जिस वजह से उन्हें चम्मच का सहारा लेना पड़ता है।

 

Women work

पुष्पा जैसे और भी कई लोग ऐसे हैं जिन्हें काजू छीलने से हम तक पहुंचाने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐनाकार्डिक काजू से नाखूनों में घाव हो जाने से इंफेक्शन भी हो जाता है, लेकिन फिर भी इन मजदूरों को मजबूरी में इस काम को करना पड़ता है।

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