सनातन धर्म में मनुष्य के लिए जन्म से लेकर मृत्यु तक सोलह संस्कार बताए गए हैं। कहते हैं जलाते वक़्त लाश के हाथ-पैर बांध दिए जाते हैं ऐसा करने के पीछे कारण होता है कि व्यक्ति के शरीर पर पिशाच कब्ज़ा न कर सकें। हिंदू धर्म में सूर्यास्त के बाद कभी भी दाह संस्कार नहीं किया जाता। यह माना जाता है कि सूर्यास्त होने के बाद अंतिम संस्कार करने से मृत्य व्यक्ति की आत्मा को परलोक में कष्ट होता है इसलिए सूर्यास्त होने के बाद किसी की मृत्यु हुई है तो उसे अगले दिन सुबह ही जलाया जाता है। इतना ही नहीं जलाने से पहले घर और रास्ते में पिंड दान करने से देवता-पिशाच खुश हो जाते हैं और लाश अग्नि में समा जाने के लिए पूरे तरीके से तैयार हो जाती है।