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नई दिल्ली

73 सालों से भारत की इस ट्रेन में लोग फ्री में कर रहे है सफर, नहीं लगता रेल टिकट

यह ट्रेन करीब 73 साल पहले 1949 में पहली बार चली थी। इसके जरिए 25 गांव के करीब 300 लोग रोज मुफ्त में सफर करते हैं। यह ट्रेन नागल और भाखड़ा के बीच चलती है।

नई दिल्लीMay 03, 2022 / 08:45 pm

Archana Keshri

73 सालों से भारत की इस ट्रेन में लोग फ्री में कर रहे है सफर, नहीं लगता रेल टिकट

73 सालों से भारत की इस ट्रेन में लोग फ्री में कर रहे है सफर, नहीं लगता रेल टिकट

भारतीय रेलवे को अपने आप में सबसे अनूठा माना जाता है यह विश्व का एक बेहद जटिल रेलवे नेटवर्क हैं। भारतीय रेलवे एशिया का दूसरा और दुनिया चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में पिछले 73 वर्षों से एक ऐसी भी ट्रेन चल रही है जिसमें सफर करने वालों को कोई किराया नहीं देना पड़ता है। इस ट्रेन में लोग फ्री में सफर करते हैं।
भारत में ज्यादातर लोग रेल से यात्रा करना पसंद करते हैं, क्योंकि यह सस्ती और आरामदायक है। अगर आपने कभी ट्रेन में सफर किया है तो आपको पता होगा कि अलग-अलग कैटेगरी के हिसाब से किराया होता है। वैसे तो ट्रेन में यात्रा करने के लिए किराया देने की जरूरत होती है, लेकिन हम जिस ट्रेन के बार में आपको बताने जा रहे हैं उसमें आप बिना किराया दिए यात्रा कर सकते हैं।
जो भी इस ट्रेन के बारे में पहली बार सुनता है, उसे यकीन नहीं होता कि जहां एक ओर किराए बढ़ रहे हैं, वहीं इस ट्रेन में मुफ्त यात्रा कैसे। तो आइए जानते हैं इस ट्रेन के बारे में और समझते हैं कि क्यों इसमें यात्रा करने के लिए कोई किराया नहीं चुकाना पड़ता है। ये ट्रेन चलती है भाखड़ा-नागल बांध देखने वालों के लिए।
यह ट्रेन नागल और भाखड़ा के बीच चलती है। यह हिमाचल प्रदेश और पंजाब के बॉर्डर पर चलती है। भाखड़ा नागल बांध देखने जाने वाले लोग इस ट्रेन में मुफ्त यात्रा का फायदा उठा सकते हैं। इस ट्रेन से 25 गांवों के लोग पिछले करीब 73 साल से फ्री में सफर कर रहे हैं। दरअसल, इस ट्रेन को भागड़ा डैम की जानकारी देने के उद्देश्य से चलाया जाता है। ताकि देश की भावी पीढ़ी ये जान सके कि देश का सबसे बड़ा भाखड़ा डैम कैसे बना था।

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नई पीढ़ी को ये मालूम हो सके कि इस डैम को बनाने में किन दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड इस ट्रेन का संचालन करता है। इस रेलवे ट्रैक को बनाने के लिए पहाड़ों को काटकर दुर्गम रास्ता बनाया गया था। इस ट्रेन को 1949 में पहली बार चलाया गया था। इस ट्रेन में लगभग 300 लोग हर रोज सफर तय करते हैं। इस ट्रेन से सबसे ज्यादा फायदा छात्रों को होता है।

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ये ट्रेन नंगल से डैम तक चलती है और दिन में दो चक्कर लगाती है। इस ट्रेन में सफर करते वक्त आपको ना तो कोई टीटीई मिलेगा, ना ही कोई हॉकर। इस ट्रेन की खास बात ये है कि इसके कोच लकड़ी के बने हुए हैं। यह ट्रेन डीजल इंजन पर चलती है, जिसमें हर रोज 50 लीटर डीजल खर्च हो जाता है। पहले इस ट्रेन में 10 बोगियां हुआ करती थीं, लेकिन अब सिर्फ 3 बोगियां ही रह गई हैं। जिसमें से एक बोगी पर्यटकों के लिए और एक बोगी महिलाओं के लिए आरक्षित की गई है।

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भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड इस ट्रेन का संचालन करता है। इस ट्रेन के द्वारा भाखड़ा के आसपास के गांव बरमला, नेहला भाखड़ा,ओलिंडा, खेड़ा बाग, नंगल, कालाकुंड, स्वामीपुर, हंडोला, सलांगड़ी सहित अन्य क्षेत्रों के लोग सफर करते हैं। ये ट्रेन सुबह 7:05 पर ये ट्रेन नंगल से रवाना होती है और लगभग 8:20 पर ये ट्रेन भाखड़ा से वापस नंगल की तरफ आती है। वहीं एक बार फिर दोपहर में ये ट्रेन 3:05 पर ये नंगल से चलती है और शाम 4:20 पर ये भाखड़ा डैम से वापस नंगल को आती है।

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