मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है? उसे किन राहों से गुजरना पड़ता है? पुनर्जन्म जैसी कई रहस्यों का खुलासा किया है। इन्हीं गुप्त बातों में से एक है मृत्यु के समय शरीर से प्राण का निकलना। गरुड़ पुराण में इस बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है कि किस प्रकार मृत्यु के समय आत्मा शरीर का त्याग करती है।
गरुड़ पुराण में ऐसा कहा गया है कि, जब किसी इंसान की मृत्यु होने वाली होती है तब वह जड़ अवस्था में चला जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उसकी सभी इंद्रियां (बोलने, सुनने,महसूस करने इत्यादि की शक्ति) नष्ट हो जाती है।
वह बोलना चाहता है, अपनी भावनाओं को व्यक्त करना चाहता है, लेकिन ऐसा कर नहीं पाता है। हिलना-डुलना तक उस व्यक्ति के लिए असंभव सा हो जाता है। इसके बाद मुंह से झाग निकलने लगता है और साथ ही लार भी टपकने लगती है।
यमलोक तक आत्मा को ले जाने के लिए दो यमदूत आते हैं। यमदूतों का चेहरा बहुत ही भयंकर होता है। उनकी आंखें बड़ी-बड़ी होती हैं। उनके नाखून किसी शस्त्र से कम नहीं लगते।
हाथ में दंड धारण किए हुए इन यमदूतों को देख मृत्यु शय्या पर लेटा हुआ व्यक्ति इतना डर जाता है कि मल-मूत्र त्याग करने लग जाता है। बस उसी पल शरीर से अंगूष्ठ मात्र (अंगूठे के बराबर) जीव हा हा शब्द करता हुआ निकलता है, जिसे यमदूत अपने कब्जे में ले लेते हैं।
गरुण पुराण में ऐसी ही कई सारी बातों का जिक्र किया गया है जिनके बारे में किसी भी सामान्य इंसान के लिए सोचना कल्पना से परे है। गरुण पुराण पढ़ने से इस तरह की कई बातों को जाना जा सकता है।