हॉर्स शू केंकड़े ( Horseshoe crab ) दुनिया के सबसे पुराने जीवों में से एक हैं। इनके बारे में कहा जाता है कि ये जीव पृथ्वी पर डायनासोरों से पहले से मौजूद हैं और एक अनुमान के मुताबिक इस ग्रह पर कम से कम 45 करोड़ सालों से हैं। इस जीव ने अब तक लाखों ज़िंदगियों को बचाया है।
हॉर्स शू केंकड़े के खून का इस्तेमाल
साल 1970 से इस जीव के खून के इस्तेमाल से मेडिकल उपकरणों और दवाओं के जीवाणु रहित होने की जांच करते हैं। किसी भी मेडिकल उपकरणों पर ख़तरनाक जीवाणु की मौजूदगी मरीज़ के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। लेकिन इस जीव का खून जैविक जहर के प्रति बेहद काम का माना है।
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हॉर्स शू केंकड़े के खून का इस्तेमाल इंसानी शरीर के अंदर जाने वाले किसी भी सामान के निर्माण के दौरान उसके प्रदूषक होने के बारे में जांचा जाता है। इन चीज़ों में मुख्यत आईवी ( HIV ) और टीकाकरण के लिए उपयोग में लाए जाने वाले मेडिकल ( Medical Equipment ) उपकरण भी खासतौर पर शामिल हैं।
क्यों होता है खून का रंग नीला ?
इस जीव के खून में कॉपर ( Copper ) की मौजूदगी पाई जाती है। वहीं इंसानों के खून में लोहे के अणु पाए जाते हैं जिसकी वजह से इंसानी खून का रंग लाल होता है और हॉर्स शू केकड़े का रंग नीला होता है। खून में एक ख़ास रसायन होता है जो कि बैक्टीरिया के आसपास जमा होकर उसे कैद कर देता है। ये खून काफ़ी कम मात्रा में भी बैक्टीरिया की पहचान करने की क्षमता रखता है।
सबसे कीमती खून
हॉर्स शू से निकलने वाला खून दुनिया का सबसे महंगा तरल पदार्थ है। इसके एक लीटर की कीमत 11 लाख रुपये हो सकती है। अटलांटिक स्टेट्स मरीन फिशरीज़ कमीशन के मुताबिक़ हर साल हॉर्स शू केंकड़े को जैव चिकिस्कीय इस्तेमाल के लिए पकड़ा जाता है।
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इस केकड़े की बनावट घोड़े के नाल जैसी होती है। इसका वैज्ञानिक नाम Limulus Polyphemus है। हर साल 5 लाख केकड़ों का खून निकाला जाता है। इस जीव को इसकी खूबी के लिए मार दिया जाता है। इसके खून में कॉपर बेस्ट हीमोसाइनिन ( Hemocyanin ) नाम का पदार्थ होता है।