हिंगलाज माता को हिंगुला देवी भी कहकर बुलाया जाता है। यह मुख्य मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हिंगोल नदी के किनारे स्थित है। दशकों से इस मंदिर पर लोगों की मान्यता कायम है। यह मंदिर बलूचिस्तान के पहाड़ी इलाके में एक संकीर्ण घाटी में स्थित है। माता सती का यह मंदिर एक छोटी प्राकृतिक गुफा में बना हुआ है। यहां एक मिट्टी की बेदी बनी हुई है। इस मंदिर में देवी की कोई मूर्ति नहीं हैं। मिट्टी की बेदी की पर हिंगुला यानि सिंदूर का लेप लगाया गया है।
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जब भगवान विष्णु ने माता सती का शिव मोह भंग करने के लिए उनपर वज्र से प्रहार किया। तब उनके शरीर के कई टुकड़े हुए। जहां-जहां उनके कटे हुए अंग गिरे वहां शक्तिपीठ बनता चला गया। मान्यता है कि हिंगलाज शक्तिपीठ माता सती का सिर कटकर गिरा था। माता हिंगलाज पर मुस्लिम समुदाय के लोग भी आस्था रखते हैं। वे इस मंदिर की सुरक्षा करते हैं। यहां काफी पुरानी परंपरा निभाई जाती है जिसमें स्थानीय मुस्लिम जनजातियां, माता हिंगलाज की तीर्थयात्रा में शामिल होती हैं। स्थानीय लोग इसे नानी का हज कहकर बुलाते हैं।